दिल का कांशा था भर गया शायद

~¤Akash¤~

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सांसों का कारवां था गुजर गया शायद
एहसाँ था ज़िन्दगी का उतर गया शायद

रो पड़ा जब वो ज़िन्दगी से मिला
सच को देखा तो डर गया शायद

काटा है सर तो हमने दुश्मन का पर
जोश में खुद का सर गया शायद

अब भी इल्जामे बा-वफाई का
फिर से मेरे ही सर गया शायद

जाने क्यूँ आँखों से आज छलका है
दिल का कांशा था भर गया शायद
 
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