कातिल भी आज ज़िन्दगी की दुआ दे गया......

~¤Akash¤~

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जिंदादिली से जीने की वो अदा दे गया
बेवफाई को भी वो अपनी वफ़ा दे गया

कहते हैं लोग अयान-ए-फितरत अजीब थी
तरसाया जिसने, उसको जाम भरा दे गया

शुमार किया खुद में उसने मुझे इसे कदर
वो करके खुदा खुदको मुझको अजां दे गया

उसकी महोब्बत में अयान कुछ तो बात थी
ज़माने से लड़ने का वो हौसला दे गया

ये राहें महोब्बत भी दिखाई थी उसी ने
खुद खुदा आज हमको तेरा पता दे गया..............


रख कर तमाम शहर चरागों की नोक पर
फिजाओं को फिर, वो तेज हवा दे गया

जब भूल गये कैद में परवाज दोस्तों
वो मुझको खुली हवाओं की सजा दे गया

फिर क्यूँ ना कहते भला उसको अपना चारागर
था दर्दे जिगर मुझको और वो जहर दे गया

मुश्किलों में मौत भी मकबूल ना हुई
कातिल भी आज ज़िन्दगी की दुआ दे गया......
 
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