मैं दूर नहीं दिलबर अब भी तेरी बाँहों से..............

~¤Akash¤~

Prime VIP
मत देख मुझे ऐसे काफिर सी निगाहों से
दर लगने लगा अब तो पाकीजा गुनाहों से

हर एक कदम उसने यूं साथ दिया जैसे
जालिम ता ताल्लुक हो मजलूम की आहों से

बाज़ार मे दौलत के ईमान भी बिकते हैं
रखते हो भरोसा तुम बेकार गवाहों पे

हैं याद मुझे अब भी तू भूल गया शायद
कल मैंने हटाये थे पत्थर तेरी राहों के

मिलने की ज़रा मुझसे कर दिल मैं कसक पैदा
मैं दूर नहीं दिलबर अब भी तेरी बाँहों से..............
 
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