~¤Akash¤~
Prime VIP
मेरे इसरार पे आखिर बहुत मजबूर हो कर आज
मुझे अपनी निगाहों की उदासी सौंप दी उसने
बहुत बेबस बहुत तन्हा बहुत बिखरी मोहब्बत की
हकीक़त खोल दी उसने
खलिश जो उसके दिल में थी वो अब मेरी अमानत है
शिकस्ता लहजे की जितनी थकन थी बोल दी उसने
मेरी खातिर मुझे अपनी मोहब्बत केह नहीं पाया
मगर आज अपने आंसू से
मोहब्बत तोल दी उसने ............
मुझे अपनी निगाहों की उदासी सौंप दी उसने
बहुत बेबस बहुत तन्हा बहुत बिखरी मोहब्बत की
हकीक़त खोल दी उसने
खलिश जो उसके दिल में थी वो अब मेरी अमानत है
शिकस्ता लहजे की जितनी थकन थी बोल दी उसने
मेरी खातिर मुझे अपनी मोहब्बत केह नहीं पाया
मगर आज अपने आंसू से
मोहब्बत तोल दी उसने ............