जरा सी बात पे हर रस्म तोड़ आया था दिल-ऐ-तबाह ने भी क्या मिजाज़ पाया था न जाने की मेरे बाद उन पे क्या गुजरी मैं चंद ख्वाब ज़माने में छोड़ आया था !!