मैं वोटर हूँ, जनतंत्र के नाम पर,

मैं वोटर हूँ,
जनतंत्र के नाम पर,
वोट देता हूँ
और वो जीत कर
जनतंत्र को धनतंत्र में
बदल देते हैं !

मैं ठगा सा
देखता हूँ
खुद को लुटते हुए
क्योंकि वो
लूटने का
अधिकार रखते हैं !

जनतंत्र को
लूटतंत्र में बदलने का
हथियार रखते हैं !
मैं पांच साल
उन्हें कोसता हूँ
और वो फिर
चेहरा बदल कर
आ जाते हैं
और वो ही
कहानी दोहराते हैं!

By Brij Bhatia:yes
 
Top