Zindgi - Gurinder Gill

RdxJatt

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दिखाकर खुवाब सदा खुवाबों के कफ़न से लिपटाती है ज़िंदगी
खुद नाचती है वक़्त की ताल पर और सबको नचाती है ज़िंदगी
ज़िंदगी कट गयी यूँही ना आये कभी हमे जीने के सलीके कोई
मौत की देहलीज़ पर लाकर अंदाज़ ज़िंदगी के सिखाती हैज़िन्दगी
एक तरफ तो फ़िक्र ओ अमाल का दिखाती रहती है आइना सबको
दूसरी और खुवाब और तम्मना जगा जगा कर लुभाती है ज़िंदगी
जब हो कोई पैदाइश नयी तो सब और हो जाये बरसात खुशिओं की
फिर वक़्त ए रुखसत पर अपनों को जार जार रुला जाती है ज़िंदगी
दर्द ओ आलम हो के हो ख़ुशी दिल से सब तुम बस करो कबूल
न बटोरो सामान सौ बरस का दो पल की है ऐसा बताती है ज़िंदगी
हो शाम कि सुबह का उगे सूरज वक़्त की सुई के साथ सदा चले
वक़्त ए करीब है सदा यही सबक सदा सिखाती रहती है ज़िंदगी
कुछ आंसुओं के जाम है पी गए कुछ इस जाम को है छलका गए
जिंदादिली से जो जीए बस उसी का साथ सदा निभाती है ज़िंदगी
 
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