ये शेर तेरे ऐब ओ हुनर और किसी का.........

~¤Akash¤~

Prime VIP
महफ़िल में हैं जलवा ए नज़र और किसी का
करता हूँ मैं सजदे, है असर और किसी का

ये आज के लोगों की महोब्बत भी अजब है
रहता है कोई, दिल में घर है और किसी का

सब कुछ जान के भी अयान हम तो चुप रहे
फेंका हैं किसी ने, है पत्थर और किसी का

जवानी मे जिसके सर पे थी बुलन्दिया
सुनते हैं बुढ़ापे मे उसे डर है किसी का

तेरे गाँव के नहीं ये शहरों के मकाँ है
यहाँ दीवार किसी की हैं दर और किसी का

अच्छी नहीं इतनी भी दुनिया से दुश्मनी
ये शेर तेरे ऐब ओ हुनर और किसी का.........
 
Top