~¤Akash¤~
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रहा दर्दे-महोब्बत इस कदर दिल में सिवा बरसों
दिल-ए-बेचैन ने की थी तड़प की इन्तहा बरसों
ना रह जाये कमी कोई कभी मेरी वफाओ में
तेरी चाहत लिए दिल में,मैं खुद से ही मिला बरसों
वो आये थे मेरे दर पे, थे हम मशगूल दुनिया में
खोया था वो क्या हमने, रहा खुद से गिला बरसों
नींदों से दुश्मनी की थी तेरे ख्वाबों की चाहत में
यूँ रातें काली करने का चला था सिलसिला बरसों...
दिल-ए-बेचैन ने की थी तड़प की इन्तहा बरसों
ना रह जाये कमी कोई कभी मेरी वफाओ में
तेरी चाहत लिए दिल में,मैं खुद से ही मिला बरसों
वो आये थे मेरे दर पे, थे हम मशगूल दुनिया में
खोया था वो क्या हमने, रहा खुद से गिला बरसों
नींदों से दुश्मनी की थी तेरे ख्वाबों की चाहत में
यूँ रातें काली करने का चला था सिलसिला बरसों...