हमने IIT-IIMs बनाए, PAK ने लश्कर-जैश बनाए, दहशतगर्द पै&#23

वॉशिंगटन.विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (65) ने शनिवार रात यूनाइटेड नेशंस की जनरल एसेम्बली (UNGA) में हिंदी में स्पीच दी। वे 22 मिनट बोलीं और 10 मिनट आतंकवाद पर बात की। छह मिनट तक उन्होंने पाकिस्तान को जमकर लताड़ा। कहा, "जब पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम शाहिद खाकान अब्बासी यहां हम पर इल्जाम लगा रहे थे तो लोग कह रहे थे कि लुक हू इज टॉकिंग...।" सुषमा ने कहा, "भारत-पाक एकसाथ आजाद हुए थे। भारत की पहचान आज दुनिया में आईटी सुपरपावर के रूप में बनी। लेकिन पाक की पहचान दहशतगर्द मुल्क की बनी है। भारत ने आईआईटी, आईआईएम बनाए। लेकिन पाकिस्तान वालों ने लश्कर-ए-तैयबा बनाया, जैश-ए-मोहम्मद बनाया।" सुषमा की स्पीच की नरेंद्र मोदी ने तारीफ की। मोदी ने ट्वीट किया, " यूएन में सुषमा स्वराज का बेमिसाल भाषण। उन्होंने विश्व स्तर पर भारत को बेहद गर्व का अहसास कराया।" जो मुल्क बेगुनाहों को मौत के घाट उतरवाता है, वो यहां हमें इंसानियत का सबक सिखा रहा था...
1) जब पाक के वजीर-ए-आजम बोल रहे थे, तब लोग कह रहे थे- लुक हू इज टॉकिंग
- सुषमा स्वराज ने कहा, "सभापति जी हम तो गरीबी से लड़ रहे हैं, लेकिन हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है। परसों इसी मंच से बोलते हुए पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम शाहिद खाकान अब्बासी ने भारत पर तरह-तरह के इल्जाम लगाए थे। हमें स्टेट स्पॉन्सर टेररिज्म फैलाने का जिम्मेदार भी बताया और मानवाधिकार उल्लंघन का आरोपी भी। जिस समय वो बोल रहे थे, तो सुनने वाले बोल रहे थे- लुक हू इज टॉकिंग। जो मुल्क हैवानियत की हदें पार करके सैकड़ों बेगुनाहों को मौत के घाट उतरवाता है, वो यहां खड़ा होकर हमें इंसानियत का सबक सिखा रहा था, हमें मानवाधिकार का पाठ पढ़ा रहा था।"
2) नरेंद्र मोदी ने हाथ बढ़ाया, लेकिन दोस्ती की कहानी आपने बदरंग की
- सुषमा स्वराज ने कहा, "पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान को दोस्ती और शांति की विदेश नीति विरासत में दी थी। मैं उन्हें याद दिलाना चाहूंगी कि शांति और विरासत की नीति मोहम्मद अली जिन्ना ने विरासत में दी कि नहीं दी, ये तो इतिहास बहुत अच्छी तरह जानता है। लेकिन, ये एक सच्चाई है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शांति और दोस्ती की नीयत जरूर दिखाई थी। उन्होेंने सारी रुकावटों को पार करते हुए दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया, किंतु कहानी िकसने बदरंग की? अब्बासी साहब इसका जवाब आपको देना है, मुझे नहीं। पर क्या उन्हें याद नहीं कि शिमला समझौते और लाहौर डिक्लेरेशन के अंतर्गत हम दोनों देशों ने ये निर्णय िकया है कि हम आपसी मसलों को इकट्ठे बैठकर हल करेंगे, किसी तीसरे की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे। सच्चाई तो ये है कि पाकिस्तान के सियासतदानों को याद तो सबकुछ है, लेकिन अपनी सुविधा के कारण वो उसे भूल जाने का नाटक करते हैं।"
3) बातचीत का सिलसिला आगे क्यों नहीं बढ़ा, इसके लिए आप जवाबदेह
- विदेश मंत्री ने कहा, ''9 दिसंबर 2015 को हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में जब मैं इस्लामाबाद गई तो नए सिरे से कॉम्प्रिहेंसिव बायलैटरल डायलॉग शुरू करने की बात हुई थी। बायलैटरल शब्द जानबूझकर डाला गया था। लेकिन वो सिलसिला आगे क्यों नहीं बढ़ा, इसके जवाबदेह आप हैं अब्बासी साहब मैं नहीं।''
4) भारत की पहचान आईटी सुपरपावर की
- सुषमा ने कहा, ''भारत-पाक एकसाथ आजाद हुए थे। लेकिन अब्बासी साहब ! (पाक पीएम), क्या आपने सोचा कि भारत की पहचान आज दुनिया में आईटी सुपरपावर के रूप में बनी। लेकिन पाक की पहचान दहशतगर्द मुल्क की बनी है। इसकी एक ही वजह है कि भारत ने पाक की आतंकवाद की चुनौतियों का सामना करते हुए भी अंदरूनी विकास की गति नहीं रोकी।''
5) हमने IIT, IIM बनाए, आपने लश्कर-जैश बनाया
- सुषमा ने कहा, ''भारत ने आईआईटी, आईआईएम बनाए। हमने एम्स जैसे अस्पताल बनाए। हमने स्पेस में इंटरनेशनल संस्थान बनाए। लेकिन पाकिस्तान वालों आपने क्या बनाया? आपने लश्कर-ए-तैयबा बनाया, जैश-ए-मोहम्मद बनाया, आपने हक्कानी नेटवर्क बनाया। हिज्बुल-मुजाहिदीन बनाया। आतंकी ठिकाने और टेररिस्ट कैम्प बनाए। हमने स्कॉलर्स, साइंटिस्ट, इंजीनियर्स पैदा किए। पाकिस्तान वालो! आपने क्या पैदा किया? आपने दहशतगर्द और आतंकवादी पैदा किए। डॉक्टर्स मरते हुए लोगों की जिंदगी बचाते हैं और जिहादी जिंदा लोगों को मार डालते हैं। लेकिन आपका जिहादी संगठन केवल भारत के लोगों को नहीं मार रहा, वे हमारे पड़ोसी अफगानिस्तान और बांग्लादेश के लोगों को भी मार रहा है। UNGA के इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी देश ने शाम को राइट टू रिप्लाई मांगा हो और एक साथ उसे 3 देशों को जवाब देना पड़ा हो।''
6) आतंकियों की मदद की बजाय मुल्क का विकास करो
- उन्होंने कहा, ''मैं कहना चाहूंगी कि पाकिस्तान वालों जो पैसा आतंकियों की मदद के लिए खर्च कर रहे हो, उसे अवाम और मुल्क की तरक्की के लिए करो तो दुनिया का आतंकवाद से पीछा छूट जाएगा और आपके मुल्क का विकास हो सकेगा।''
7) आतंकवाद को अलग-अलग नजरिए से देखना बंद करें
- सुषमा स्वराज ने कहा, ''आज विश्व जिन समस्याओं का समाधान ढूंढ रहा है, उनमें अहम आतंकवाद है। पहले विश्व के देश इसे कानून व्यवस्था का मामला कहकर टाल देते थे। आज सब चर्चा कर रहे हैं। इस विषय पर हमें आत्मावलोकन करने की जरूरत है। हम जब भी ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी करते हैं तो आतंकवाद से लड़ने की कसम खाते हैं। लेकिन, ये निभाने वाली रस्म बन गई है। संकल्प निभाने का वक्त आता है तो कुछ देश अपने फायदे को आगे रखते हैं।''
8) अपने-अपने आतंकवाद का नजरिया बदलें
- ''1996 में भारत द्वारा प्रस्तावित CCIT पर आज तक यूएन सहमत नहीं हो पाया। आतंकवाद की परिभाषा पर एकराय नहीं बन पाई। मेरे और तेरे आतंकवादी की दृष्टि अलग हो जाएगी तो मिलकर कैसे लड़ेंगे? किसी टेररिस्ट की लिस्टिंग पर मतभेद होगा, तो हम कैसे लड़ेंगे? अलग-अलग नजरिए से आतंकवाद को देखना बंद करें। एक नजरिया करें और ये स्वीकार करें कि आतंकवाद सबके लिए खतरा हैं। अगर हम लड़ने का संकल्प करें तो उसे मानें और अमली जामा पहनाएं। CCIT को पारित करने दें।''

9) गरीब इतने सशक्त हों कि वे अपना सहारा खुद बन जाएं
- सुषमा ने कहा, " हमनें टिकाऊ विकास के लक्ष्य को केंद्र में रखते हुए कई योजनाएं बनाई हैं। गरीबी दूर करना हमारा पहला लक्ष्य है। इसके दो रास्ते हैं। पहला- हम उनका सहारा बनें। दूसरा- हम उन्हें ही इतना सशक्त कर दें कि वे अपना सहारा आप बन जाएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरा रास्ता चुना है। इसलिए वे गरीबों का सशक्तीकरण करने में जुटे हैं। हमारी सारी योजना इसी पर केंद्रित है। जनधन, उज्ज्वला, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट अप और स्टैंड अप इंडिया।"
10) अमेरिका जितनी आबादी को हमने जनधन से जोड़ा
- सुषमा ने कहा, "जनधन के तहत हमने सबसे बड़ा आर्थिक समावेश किया। 30 करोड़ लोगों को बैकिंग सिस्टम में लाए। उनके बैंक खाते खुलवाए। जिनके पास पैसा नहीं था, उनका जीरो बैलेंस से खाता खुलवाया। असंभव को भारत ने संभव किया। 30 करोड़ लोग... ये छोटा आंकड़ा नहीं है। अमेरिका की समूची आबादी है। कुछ लोग अभी बचे हैं। हमारा लक्ष्य सौ प्रतिशत को इससे जोड़ना है। विदेश मंत्री ने कहा, "दूसरी योजना के अंतर्गत 70 फीसदी से ज्यादा कर्ज केवल महिलाओं को दिया गया। तीसरी योजना है उज्ज्वला योजना। गरीब महिलाओं के लिए रोज-रोज खाना पकाने के लिए ईंधन जुटाना होता है। हम गरीब महिलाओं को मुफ्त सिलेंडर दे रहे हैं। नोटबंदी जैसे साहसिक फैसले ने करप्शन पर प्रहार किया। जीएसटी ने एक राष्ट्र, एक टैक्स योजना को साकार किया। बेटी-बचाओ जैसी योजनाएं लाएं। समर्थ देश तो अपने बलबूते पर लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे, लेकिन हमें मदद करनी होगी।"
 
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