~¤Akash¤~
Prime VIP
दौर है सख्त-ए-कलामी और आजिजी मुश्किल मे है
क्या करूँ फरयाद रब से जब खुद खुदा मुश्किल मे है
कुछ इस तरह करते रहे वो अहतराम-ए-दोस्ती
कोई बंद रखता था जुबाँ शिकवा किसी के दिल मे है
यूँ सुना है हमने भी वो आँसुओं का है मुरीद
चश्मे- नम तो है मेरी क्या हम भी तेरे दिल में है
थामता कैसे भला फिर हाथ वो मजलूम का
क्या करे फितरत अमीरी जब गरीबी दिल मे है
सब बने है मुन्तजिर फिर आज तेरे दीद के
हम भी नफ्से-मुतमईन लेकर चले महफ़िल मे है.
क्या करूँ फरयाद रब से जब खुद खुदा मुश्किल मे है
कुछ इस तरह करते रहे वो अहतराम-ए-दोस्ती
कोई बंद रखता था जुबाँ शिकवा किसी के दिल मे है
यूँ सुना है हमने भी वो आँसुओं का है मुरीद
चश्मे- नम तो है मेरी क्या हम भी तेरे दिल में है
थामता कैसे भला फिर हाथ वो मजलूम का
क्या करे फितरत अमीरी जब गरीबी दिल मे है
सब बने है मुन्तजिर फिर आज तेरे दीद के
हम भी नफ्से-मुतमईन लेकर चले महफ़िल मे है.