होली.......

मैं बच्चा था ,
तब भी मै होली खेला करता ,
रहीम को रंगों से रंग देता,
आज मुझे कुछ चुभता है,
रहीम कुछ चुप - चुप रहता है ,
शायद हो गया सयाना है ,
धर्मं का भेद समझता है,
कहता......" ये रंग ख़राब हैं "
इन्हें मुझसे दूर ही रखो तो बेहतर है ........!!
आज मुझे कुछ चुभता है......आज मुझे कुछ चुभता है.....!!
 
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