Old Lyrics Waseem Barelvi Ghazal – Kaun Si Baat Kahan Kaise Kahi Jati Hai

कौन सी बात कहाँ कैसे कही जाती है
ये सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है

एक बिगड़ी हुई औलाद भला क्या जाने
कैसे माँ बाप के होंठों से हंसी जाती है

कतरा अब एह्तिजाज़ करे भी तो क्या मिले
दरिया जो लग रहे थे समंदर से जा मिले

हर शख्स दौड़ता है यहाँ भीड़ की तरफ
फिर ये भी चाहता है उसे रास्ता मिले

इस दौर-ए-मुन्साफी में जरुरी नहीं वसीम
जिस शख्स की खता हो उसी को सजा मिले
 
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