~¤Akash¤~
Prime VIP
इस आईने में मेरा भी चेहरा नहीं होता
जो हाथ में इस बार भी पत्थर नहीं होता
सोचा है दिखा दे "अयान" अब सारे ज़ख्म उसे
जो कहता है हर हाथ में खंजर नहीं होता
दीवाना वार रोये हैं उससे बिछड़ के हम
वो कहता रहा आँखों मे समंदर नहीं होता
सोच ले ये मेरी महोब्बत का है करम
वरना तू जैसा आज है वैसा नहीं होता....
जो हाथ में इस बार भी पत्थर नहीं होता
सोचा है दिखा दे "अयान" अब सारे ज़ख्म उसे
जो कहता है हर हाथ में खंजर नहीं होता
दीवाना वार रोये हैं उससे बिछड़ के हम
वो कहता रहा आँखों मे समंदर नहीं होता
सोच ले ये मेरी महोब्बत का है करम
वरना तू जैसा आज है वैसा नहीं होता....