तुम बहोत देर तक याद आते रहे !

~¤Akash¤~

Prime VIP
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
मेरी तन्हाई पे मुस्कुराते रहे
मैं बहुत देर तक युही चलता रहा
तुम बहोत देर तक याद आते रहे !

ज़हर मिलता रहा, ज़हर पीते रहे
रोज़ मरते रहे, रोज़ जीते रहे
ज़िन्दगी भी हमें अज्मती रही
और हम भी इसे अजमाते रहे !

ज़ख्म जब भी कोई जेहन-ओ-दिल पे लगा
ज़िन्दगी की तरफ एक दरीचा खुला
हम भी गोया किसी साज़ के तार है
चोट खाते रहे गुनगुनाते रहे !

कल कुछ ऐसा हुआ मैं बहोत थक गया
इस लिए सुन के भी अनसुनी कर गया
इतनी यादो के भटके हुए करवा
दिल के ज़ख्मो के दर खटखटाते रहे


अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
मेरी तन्हाई पे मुस्कुराते रहे
मैं बहुत देर तक युही चलता रहा
तुम बहोत देर तक याद आते रहे !
 
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