तालिबान बोला, भारत से सुलह संभव

तालिबान को भारत और अफगानिस्तान के ऐतिहासिक रिश्ते याद आ रहे हैं। उसका मानना है कि भारत के साथ उसकी कोई सीधी लड़ाई नहीं है
। इसके एक कदम बढ़कर वह भारत के साथ सुलह की संभावना भी देखता है। लेकिन इस सब के बावजूद वह हाल ही में काबुल में भारतीयों पर हुए हमले को जायज भी ठहराता है। ये परस्परविरोधी बयान दिए हैं तालिबान के प्रवक्ता जबीहउल्लाह मुजाहिद ने एक भारतीय मैगजीन को दिए इंटरव्यू में।
मुजाहिद ने कहा, 'अगर तालिबान सत्ता में वापस लौटते हैं तो हम भारत समेत तमाम देशों से सामान्य संबंध बनाना चाहेंगे। यह भी मुमकिन है कि भारत और तालिबान एक दूसरे के साथ सुलह कर लें।' अफगानिस्तान में भारत की भूमिका पर भी तालिबान प्रवक्ता नरम नजर आया, उसने कहा, भारत का रोल उन देशों से एकदम अलग है जिन्होंने अपनी सेनाएं अफगानिस्तान में भेजी हैं। उन्होंने कहा कि भारत न तो नाटो का हिस्सा है और न ही उसने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है। हालांकि, अगली सांस में यह भी कह दिया कि, अफगान विवाद में भारत का रोल निष्पक्ष नहीं है। वह अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिका की अगुआई वाली सेनाओं को सपोर्ट कर रहा है और हामिद करजई सरकार को मजबूत करने का काम कर रहा है। इसके अलावा भारत ने सेनाओं द्वारा नागरिकों की हत्या की भी निंदा नहीं की।

26 फरवरी को भारतीयों को निशाना बनाकर दो होटलों पर किए गए हमले के बारे में उसका कहना था, तालिबान लड़ाकों को सूचना मिली थी कि कि रॉ एजेंट वहां मीटिंग कर रहे हैं। चूंकि भारत अफगान सरकार और पश्चिमी ताकतों का समर्थन कर रहा है इसलिए वे वाजिब निशाना थे।

यह पूछे जाने पर कि क्या तालिबान चाहता है कि भारत अफगानिस्तान से बाहर निकल जाए, उसने कहा, हम यह नहीं कह रहे हैं कि भारत को अफगानिस्तान से बाहर निकल जाना चाहिए और ना ही ऐसा किया जा सकता है।
 
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