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अकसर ही ये होता है की आप जब घर से दूर है , और पर्व तेहवार के समय घर की याद बहुत आती ,और याद आती है वो हसीं और खुशियों के पल ... जिन लम्हों के याद के बिना किसी की भी जिंदगी अधूरी होती है . मै बात कर रहा हु उस दिवाली की जब मै नया नया कॉलेज में गया था
हमारे पड़ोस में एक लड़की रहती थी जिसका नाम था अर्पिता दुत्ता , वो हमसे 1 साल छोटी थी . हम लोग एक दुसरे को जानते थे और हमारे घर का आना जाना था उसके घर से .
जैसा की हर दिवाली में होता है हम लोग पटाखे चला रहे थे सभी लोग मिल कर अपने दोस्तों के संग , अचानक एक जलता हुआ रौकेट अर्पिता के घर में घुस गया ... अर्पिता हम लोगो के साथ ही पटाखे चला रही थी । हम सभी दोस्त लोग दौरे उसके घर के तरफ लेकिन उसके घर पे ताला लगा था ...तू हम बालकोनी से चढ़ कर उसके घर में घुसे और दूसरी ओर से दरवाज़ा खोल दिया । एक छोटी सी आग जो की उसके घर के परदे में लगा थी उसको बुझा दिया . सभी लोग फिर से पटाखे चलने चले गए , लेकिन अर्पिता ने मुझको बोला तुम रुको तुम्हारे लिए कुछ खाने का लाती हु . उसके घर पे कोई नहीं था , फिर हमलोग कॉलेज पड़ी लिखाई की बाते करने लगे , आचानक अर्पिता मेरे ओर कुछ अजीब निगाहों से देखना सुरु कर दिया ...पता नहीं क्या क्या बोल रही थी कुछ भी तो सुनाई नहीं दे रहा था बस देखते जा रहे थे एक दुसरे को एक टक ...
...अब कोई भी कुछ नहीं बोल रहा था बस देखे जा रहे थे एक दुसरे को .... शायद तभी जिंदगी में पहली बार पयार का अहसास हुआ ...सही में वक़्त कही रुक सा गया था ....फिर उसने पुचा क्या हम लोग हमेसा के लिए एक नहीं हो सकते ....तब याद आता मेरा वो मूर्खतापूर्ण उतर ..मै बोला पहले कुछ बन तो जाओ ..कमाना तो शुरू करू ....लेकिन फिर संभला और सोचा आज क्यों नहीं हम लोग जी ले इस पल को ..पता नहीं 1-2 घंटे क्या क्या बहकी बहकी बाते करते रहे ...पूरी दुनिया और परिवार वसा लिए ... उसके बाद उसके पापा -माँ आ गए और फिर मै आपने घर चला गया ...लेकिन फिर उस दिन के बाद पियार भरी नोक झोक काफी दिनों टक चलती रही।
......आज भी वो मेरे दिलो दिमाग में बसी है उसकी बदन की वो खुशबू और उसका मुस्काना ... हमेसा तो नहीं लेकिन हर दिवाली पे वो जरुर याद आती है और मेरे जिंदगी में खुशियों की दीप जला जाती है वो ....

आप सबको दिवाली की बहुत बहुत शुभकामनाये ..
 
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