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बचपन से ही मेरे घर में रिश्तेदार हमेशा मेरे घर पे आया करते थे, मेरे माँ-पापा बहुत ही अतिथियों का आवभगत किया करते थे, चाहे हम भाई बहनों का एक्साम हो या कोई और दिन रिश्तेदारों का ताँता लगा रहता था। मेरे पापा नौकरी करते थे , रांची में , रांची उन दिनों बिहार के एक बड़े शहरो में से एक था , और वहा सभी एक्साम का सेण्टर पड़ता था, और प्रोफेसर लोगो का भी आना जाना रहता था, ये लोग कॉपी जाचने के लिए आया करते थे , जो भी आता वो कमसे कम १ महिना रुक कर जाता था, और मेरे पापा माँ लोक लाज के कारण किसी को जाने भी नहीं कहते। रिश्तेदार लोग भी बहार जा कर बोलते इज्ज़त बहुत किया , तो दुसरे लोग भी इज्ज़त करवाने के लिए आ जाया करते थे.....रिश्तेदारों के जाने के बाद हम लोग उसकी बात किया करते थे मेरा मतलब शिकायत (आलोचनात्मक व्याख्या) किया करते थे.ये वो बोला वो क्या किया आदि..आदि...
जब घर छूटा तो धीरे धीरे ये सब भूल गए और रिश्तेदार तो नहीं दोस्त लोग काफी आया जाया करते है और हम लोग खूब मस्त करते है रियाल्ली मस्ती ..खाना पीना और पुराने दिनों की यादे - मस्त रहो मस्ती में आग लगे बस्ती में ...जैसा...और भूल गए की मेरे गाँव के पुरखो की ज़मीन है और उसमे मेरा और मेरे चचेरे भाइयो का भी हिस्सा है....दस साल हो गए विदेश में है और लोगो से फ़ोन पे ही बात होती है।


गत महिना मेरा एक चचेरा भाई USA आया और लास्ट सप्ताह मेरे घर pe आया १० दिनों के लिए.... जो की हमसे १० साल छोटा है...वो मेरा भक्त था...हमेशा राजू भैया राजू भैया किया करता था इंडिया में।


जब वो आया तो मै LAX गया उसको लाने के लिए...बहुत ख़ुशी ख़ुशी वो मेरा चरण श्पर्श किया और मैंने उसे गले लगा लिया. रस्ते में ही वो कुछ सुरु हो गया कभी मेरी भाभी मेरे पापा आपने पापा अपनी माँ के बारे में बात करना सुरु कर दिया। हमलोग काफी दिनों से इस माहोल से दूर थे , सुरु में कुछ नहीं सोचा वो मेरी माँ पापा के बारे में उलटी सीधी बाते करने लगा , और उसका बोलने का अंदाज़ कुछ एसा था जैसे की वो एक घटना के बारे में बोल रहा हो।
एक बात तो है अगर कोई कुछ नहीं करता हो परिवार और समाज के बारे में तो लोग उसकी बाते नहीं किया करते , जैसे की आप अगर किसी की शादी करवाते है या किसी रिश्तेदार को अपने घर में रख कर पढाई करवाते है तो लोग आपके बारे में अच्छी और बुरी बाते करते है , मेरे पापा माँ लोग भी वैसे लोगो में है जो की परिवार का ध्यान रखते है।
तो वो सुनाता रहा है तेरे पापा-माँ ने यहाँ गलत किया वहा गलत किया वगैरा वगैरा .....और एक बात है मेरी धर्म पत्नी के बारे में वो ये शिकायत सुन कर काफी खुश होती...पता नहीं यइ सास बहु का क्या चकर है , हमको तो समझ में नहीं आता। खैर अब मेरा भाई ये स्टेप आगे बाद कर मेरे बारे में बोलना सुरु कर दिया, और बोला की भैया ने घर के लिए कुछ भी नहीं किया है...अब जा कर मेरी वाइफ का माथा गरम होना सुरु हुआ ... और दोनों में बात सुरु होगया की हमने ये किया है और वो किया है...
जब वो जाने लगा तो मै दिल से भगवान को बोला , हमें बचाए एसे मेहमानों से , जो की इस तनाव भरी जिंदगी में और भी तनाव दे जाते है। दिल से बोलता हूँ , उसके जाने के बाद अभी हमेसा उसी के बारे में सोचते है और और सोचते है की एसे लोगो से हमें दूर ही रहना चाहिए ...क्यों की ये उसका सवभाव है हम वैसा नहीं बन सकते। जैसे की भगवान ने लोमड़ी बनायीं है , उससे लोगो बच कर ही रहना चाहिए , दूर ही से सलाम करना चाहिए। भगवन बचाए एसे मेहमानों से जो की आपका ही खाते है और आपको ही गाली दे कर चले जाते है........
 
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