Sare Baazaar kuch nilaam hua

तू बता दे तेरा पता क्या है,
कैसा दिखता है पहनता क्या है.

हैं यहां पे क्यूं ये पैमाने,
जो बताते नहीं ज़रा क्या है.

यहां कैसे का कुछ सवाल नहीं,
देखते सब हैं के मिला क्या है.


तेरे चेहरे पे किसका चेहरा है,
मेरे आस्तीं में ये छुपा क्या है.
आज सर पे जो ताज रखता है,
कल को देखेगा के हुआ क्या है.

झूठ की इक दिवार रखता है,
तेरे इमान में बचा क्या है.

वो जमीं से फ़लक पे जा पहुंचा,
मेरी नज़रों से ये गिरा क्या है.

सरे बाज़ार कुछ निलाम हुआ,
ये ना पूछो के ये बिका क्या है.

सबको बस रोश्नी की है चाहत,
जानता दिल ही है जला क्या है.

जिनको मतलब नहीं ख्यालों से,
क्या बताएं उन्हें कहा क्या है.

दिले गुस्ताख है जुबां आतिश,
उस "अनाड़ी" का ये ब्यां क्या है.
 
Top