Old Lyrics Sahir Ludhianvi Ghazal – Ye Husn Tera Ye Ishq Mera

ये हुस्न तेरा ये इश्क़ मेरा
रंगीन तो है बदनाम सही
मुझ पर तो कई इल्ज़ाम लगे
तुझ पर भी कोई इल्ज़ाम सही

इस रात की निखरी रंगत को
कुछ और निखर जाने दे ज़रा
नज़रों को बहक जाने दे ज़रा
ज़ुल्फ़ों को बिखर जाने दे ज़रा
कुछ देर की ही तस्कीन सही
कुछ देर का ही आराम सही

जज़्बात की कलियाँ चुनना है
और प्यार का तोहफ़ा देना है
लोगों की निगाहें कुछ भी कहें
लोगों से हमें क्या लेना है
ये ख़ास त’अल्लुक़ आपस का
दुनिया की नज़र में आम सही

रुसवाई के डर से घबरा कर
हम तर्क-ए-वफ़ा कब करते हैं
जिस दिल को बसा लें पहलू में
उस दिल को जुदा कब करते हैं
जो हश्र हुआ है लाखों का
अपना भी वही अंजाम सही

ये हुस्न तेरा ये इश्क़ मेरा
रंगीन तो है बदनाम सही
मुझ पर तो कई इल्ज़ाम लगे
तुझ पर भी कोई इल्ज़ाम सही
 
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