Palang Tod
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खरड़. अध्यापक यूनियन के आह्वान पर नौकरी से निकालने जाने पर गुस्साए कंप्यूटर शिक्षकों ने सोमवार को खानपुर पुल पर जाम लगा दिया और बादल सरकार के खिलाफ नारे लगाए। यह पुल चंडीगढ़—मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर है।
पुल से कुछ दूर शिवजोत एन्क्लेव की पानी की टंकी पर कुछ शिक्षक चढ़ गए। इनमें से तीन शाम सात बजे तक ऊपर डटे रहे और कूदकर जान देने की धमकी देते रहे। इसका असर यह हुआ जाम लगा रहा और पुलिस की सांस फूली रही। वह सिर्फ तमाशा देखती रही। इससे हजारों लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ा। पुल पर सैकड़ों शिक्षक दोपहर करीब 12.15 बजे पहुंचे और शाम करीब सात बजे तक बैठे रहे। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व सबस्टीट्यूट कॉन्ट्रेक्ट कंप्यूटर टीचर यूनियन पंजाब के प्रधान बलजिंदर सिंह ने किया।
नहीं गली अधिकारियों की दाल
थाना प्रभारी एचएस बल और सिटी थाना प्रभारी तिरलोचन सिंह जवानों के साथ खानपुर पुल पहुंचे। शिक्षकों के गुस्से के आगे उनकी दाल नहीं गली तब डीएसपी राज बलविंदर सिंह मरार, एसडीएम राजीव कुमार गुप्ता, नायब तहसीलदार अजीत सिंह लौंगिया, एसपी कमलदीप सिंह, एसपी सुनीता रानी, राका गेरा, डीएसपी लखबीर सिंह पहुंचे। सबने आंदोलनकारियों को मनाने की कोशिश की। फिर भी जाम नहीं खुला। शिक्षकों की एक ही मांग रही कि सरकार नौकरी पर रखने का लिखित आश्वासन दे।
हालात बिगड़ते देख प्रशासन ने फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस और मोहाली से अतिरिक्त पुलिस बल की व्यवस्था की। तमाम प्रयासों के बावजूद शिक्षक टंकी से नीचे नहीं उतरे। वह कूदने की धमकी देते रहे। शिक्षक नेता बलजिंदर सिंह का कहना है कि 28 मई को सरकार ने शैक्षणिक योगयता में कमी की वजह से 408 कंप्यूटर शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया था। तब से रोजाना मुख्यमंत्री बादल से मिलने की कोशिश की गई। सीएम हाउस चंडीगढ़ में वह लोग सुबह से शाम तक बैठ कर लौटते रहे। मजबूरी यह कदम उठाना पड़ा।
आज होगी बादल से मुलाकात
शाम करीब 6 बजे पुलिस ने शिक्षक नेताओं को डीसी से मिलने के लिए राजी किया। एसडीएम के साथ चार शिक्षक डीसी निवास पहुंचे। डीसी ने आश्वस्त किया है कि मंगलवार सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मिलने का समय दिया है। इसके बाद प्रदर्शन को स्थगित कर दिया गया। शिक्षक नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री ने मांग नहीं मानी तो फिर आंदोलन किया जाएगा। इस धरना—प्रदर्शन से वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं। यातायात पुलिस प्रभारी भूपिंदर कुमार का दावा है कि यातायात को लांडरां, मोरिंडा, मुल्लांपुर और अन्य क्षेत्रांे से विभाजित कर स्थिति सामान्य करने की कोशिश की गई।
पुल से कुछ दूर शिवजोत एन्क्लेव की पानी की टंकी पर कुछ शिक्षक चढ़ गए। इनमें से तीन शाम सात बजे तक ऊपर डटे रहे और कूदकर जान देने की धमकी देते रहे। इसका असर यह हुआ जाम लगा रहा और पुलिस की सांस फूली रही। वह सिर्फ तमाशा देखती रही। इससे हजारों लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ा। पुल पर सैकड़ों शिक्षक दोपहर करीब 12.15 बजे पहुंचे और शाम करीब सात बजे तक बैठे रहे। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व सबस्टीट्यूट कॉन्ट्रेक्ट कंप्यूटर टीचर यूनियन पंजाब के प्रधान बलजिंदर सिंह ने किया।
नहीं गली अधिकारियों की दाल
थाना प्रभारी एचएस बल और सिटी थाना प्रभारी तिरलोचन सिंह जवानों के साथ खानपुर पुल पहुंचे। शिक्षकों के गुस्से के आगे उनकी दाल नहीं गली तब डीएसपी राज बलविंदर सिंह मरार, एसडीएम राजीव कुमार गुप्ता, नायब तहसीलदार अजीत सिंह लौंगिया, एसपी कमलदीप सिंह, एसपी सुनीता रानी, राका गेरा, डीएसपी लखबीर सिंह पहुंचे। सबने आंदोलनकारियों को मनाने की कोशिश की। फिर भी जाम नहीं खुला। शिक्षकों की एक ही मांग रही कि सरकार नौकरी पर रखने का लिखित आश्वासन दे।
हालात बिगड़ते देख प्रशासन ने फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस और मोहाली से अतिरिक्त पुलिस बल की व्यवस्था की। तमाम प्रयासों के बावजूद शिक्षक टंकी से नीचे नहीं उतरे। वह कूदने की धमकी देते रहे। शिक्षक नेता बलजिंदर सिंह का कहना है कि 28 मई को सरकार ने शैक्षणिक योगयता में कमी की वजह से 408 कंप्यूटर शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया था। तब से रोजाना मुख्यमंत्री बादल से मिलने की कोशिश की गई। सीएम हाउस चंडीगढ़ में वह लोग सुबह से शाम तक बैठ कर लौटते रहे। मजबूरी यह कदम उठाना पड़ा।
आज होगी बादल से मुलाकात
शाम करीब 6 बजे पुलिस ने शिक्षक नेताओं को डीसी से मिलने के लिए राजी किया। एसडीएम के साथ चार शिक्षक डीसी निवास पहुंचे। डीसी ने आश्वस्त किया है कि मंगलवार सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मिलने का समय दिया है। इसके बाद प्रदर्शन को स्थगित कर दिया गया। शिक्षक नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री ने मांग नहीं मानी तो फिर आंदोलन किया जाएगा। इस धरना—प्रदर्शन से वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं। यातायात पुलिस प्रभारी भूपिंदर कुमार का दावा है कि यातायात को लांडरां, मोरिंडा, मुल्लांपुर और अन्य क्षेत्रांे से विभाजित कर स्थिति सामान्य करने की कोशिश की गई।