Reservations, but for how long....

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Guest
*जिसको आरक्षण दिया जा रहा है वो सामान्य आदमी बन ही नहीं पा रहा है*....
जैसे किसी व्यक्ति को आरक्षण दिया गया और वो किसी सरकारी नौकरी में आ गया!अब उसका वेतन ₹ 5500/- से ₹ 50,000/- तक महीना है पर जब उसकी संतान हुई तो
*फिर वही से शुरुआत* !

*फिर वही गरीब, पिछड़ा और सवर्णों के अत्याचार का मारा* पैदा हुआ ।

उसका पिता *लाखों रूपए* सालाना कमा रहा है तथा *उच्च पद* पर आसीन है।सारी *सरकारी सुविधाए* ले रहा है।
वो खुद जिले के *सबसे अच्छे स्कूल* में पढ़ रहा है और सरकार उसे पिछड़ा मान रही है।
सदियों से सवर्णों के अत्याचार का शिकार मान रही है।
आपको आरक्षण देना है बिलकुल दो पर *उसे नौकरी देने के बाद सामान्य तो बना दो*।

यह *आरक्षण कब तक* मिलता
रहेगा उसे ?? इसकी भी कोई *समय सीमा* तो तय कर दो कि बस जाति विशेष में पैदा हो गया तो आरक्षण का हकदार हो गया।

*दादा जी जुल्म के मारे, बाप जुल्म का मारा तथा पोता भी जुल्म का मारा!*

*वाह रे मेरे देश का दुर्भाग्य!*
जिस आरक्षण से उच्च पदस्थ अधिकारी , मन्त्री , प्रोफेसर , इंजीनियर, डॉक्टर *भी पिछड़े* ही रह जायें, ऐसे *असफल अभियान* को तुरंत बंद कर देना चाहिए ।
जिस कार्य से कोई आगे न बढ़ रहा हो उसे जारी रखना मूर्खतापूर्ण कार्य है।

हम में से कोई भी आरक्षण के खिलाफ नहीं, पर *आरक्षण का आधार जातिगत ना होकर आर्थिक* होना चाहिए।
""ऒर तत्काल प्रभाव से प्रमोशन में आरक्षण तो बंद होना ही चाहिए। नैतिकता भी यही कहती है।""

आरक्षण देना है तो उन *गरीबों ,लाचारों को चुन चुन के दो जो बेचारे दो वक्त की रोटी को मोहताज हैं.......चाहे वे अनपढ़ हो*। चौकीदार , सफाई कर्मचारी ,सेक्युरिटी गार्ड कैसी भी नौकरी दो....हमें कोई आपत्ति नहीं।
ऐसे लोंगो को मुख्य धारा में लाना सरकार का सामाजिक उत्तरदायित्व है।

परन्तु *भरे पेट वालों को बार बार 56 व्यंजन परोसने की यह नीति बंद होनी ही चाहिए*।
जिसे एक बार आरक्षण मिल गया उसकी अगली पीढ़ियों को सामान्य मानना चाहिये और आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिये।
क्या आप भी सहमत हैं ?
*यदि हां तो आगे Share करना न भूलें!*🙏
 
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