Old Lyrics Rahat Indori Ghazal – Aankh Pyasi Hai Koi Manzar De

आँख प्यासी है कोई मन्ज़र दे
इस जज़ीरे को भी समन्दर दे

अपना चेहरा तलाश करना है
गर नहीं आइना तो पत्थर दे

बन्द कलियों को चाहिये शबनम
इन चिराग़ों में रोशनी भर दे

पत्थरों के सरों से कर्ज़ उतार
इस सदी को कोई पयम्बर दे

क़हक़हों में गुज़र रही है हयात
अब किसी दिन उदास भी कर दे

फिर न कहना के ख़ुदकुशी है गुनाह
आज फ़ुर्सत है फ़ैसला कर दे
 
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