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रोहिंग्या आतंकियों ने 100 हिंदुओं को मारा, गड्ढों में फेंक दीं बॉडीज: चश्मदीद

म्यांमार से भागकर बांग्लादेश आए हिंदू परिवारों ने रोहिंग्या मुसलमानों के आतंकी गुट पर नरसंहार के आरोप लगाए हैं।

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- म्यांमार के रखाइन प्रांत के एक गांव में अपने फैमिली मेंबर की बॉडी की पहचान होने के बाद रोती हिंदू महिला। रविवार से बुधवार तक यहां सामूहिक कब्रों से 45 बॉडीज रिकवर की जा चुकी हैं। ये आंकड़ा म्यांमार आर्मी ने जारी किया है।

कॉक्स बाजार (बांग्लादेश)/नई दिल्ली.म्यांमार से भागकर बांग्लादेश में रिफ्यूजी बनने वाले हिंदू परिवारों ने रोहिंग्या मुसलमानों के आतंकी गुट पर नरसंहार के आरोप लगाए हैं। न्यूज एजेंसी से बातचीत में एक महिला ने कहा- कम से कम 100 हिंदुओं की हत्या की गई और उनकी लाशों को कीचड़ से भरे गड्ढों में फेंक दिया गया। घटना की चश्मदीद एक महिला ने कहा- मेरे पति, दो भाई और अनगिनत पड़ोसियों की गला रेतकर हत्या कर दी गई। हिंदुओं के गांव में रोहिंग्या आतंकियों ने आग लगा दी। दूसरी ओर, म्यांमार सरकार ने पहली बार मीडिया को हिंसा से प्रभावित रखाइन प्रांत में जाने की इजाजत दी। क्या है मामला...
- म्यांमार से भागे हिंदू रिफ्यूजी बांग्लादेश के कॉक्स बाजार इलाके में बनाए गए कैम्प में रह रहे हैं। ये इलाका म्यांमार की बॉर्डर से लगा हुआ है। उनके लिए हालात बहुत मुश्किल हैं। कई लोगों को तो पता ही नहीं कि उनके फैमली मेंबर्स जो रखाइन में छूट गए थे, वो जिंदा हैं भी या नहीं।
- रितिका धर नाम की एक महिला ने बताया- कुछ नकाबपोश लोग हमारे गांव में घुसे। उन्होंने मेरे पति, दो भाईयों और कई पड़ोसियों को पकड़ा और दूर ले जाकर उनके गले रेत दिए। इसके बाद तीन बड़े गड्ढे खोदे गए। इनमें सभी की बॉडीज को फेंक दिया गया। उनके हाथ पीछे बंधे थे और आंखों पर पट्टी बांधी गई थी।
- रितिका किसी तरह अपने दो बच्चों के साथ जान बचाकर बांग्लादेश पहुंची और अब रिफ्यूजी कैंप में रह रही हैं।
सामूहिक कब्र में कितने कंकाल?

- चश्मीदीदों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि रखाइन के ‘खा मौंग सेक’ गांव में म्यांमार की फौज सामूहिक कब्रों को खोज निकाला है। रविवार से बुधवार तक 45 कंकाल इन कब्रों से निकाले गए हैं।
- म्यांमार की आर्मी का आरोप है कि 25 अगस्त को रोहिंग्या आतंकी गुट ने एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया। कुछ पुलिसवाले मारे गए। इसके बाद इन लोगों ने हिंदुओं के गांवों पर हमला कर दिया। इन घटनाओं के बाद म्यांमार की आर्मी ने एक्शन लिया। अब रोहिंग्याओं को यहां से निकाला जा रहा है। हालांकि, दिक्कत की बात ये है कि भारत समेत कई देश इन्हें अपने देश में रिफ्यूजी का दर्जा देने के लिए तैयार नहीं हैं।
म्यांमार ने आरोप नकारे

- म्यांमार से भागे ज्यादातर लोग बांग्लादेश पहुंच रहे हैं। क्योंकि, म्यांमार और बांग्लादेश के बीच दूरी काफी कम है। इन लोगों ने म्यांमार की आर्मी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कई संगठन म्यांमार आर्मी की कार्रवाई को ज्यादती बता रहे हैं।
- दूसरी ओर, म्यांमार आर्मी का कहना है कि उसने सिर्फ उन रोहिंग्याओं के खिलाफ कार्रवाई की है जो आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। उसका आरोप है कि ये आतंकी संगठन सिर्फ हिंदुओं और बौद्धों को निशाना बना रहे हैं।
रखाइन में मीडिया को इजाजत

- बुधवार को म्यांमार आर्मी ने हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित रखाइन प्रांत में मीडिया को जाने की इजाजत दी। यहीं हिंदुओं की सामूहिक कब्रें मिली हैं। खास बात ये है कि कब्रों से जो कंकाल मिले हैं उनमें बच्चों और महिलाओं की पहचान भी हुई है।
- म्यांमार आर्मी ने पहले यह कहते हुए मीडिया को इस इलाके में जाने से रोक दिया था कि वहां हिंसा बहुत ज्यादा है, इसलिए खतरा हो सकता है।


कम से कम 100 हिंदुओं को मार डाला

- एक और चश्मदीद महिला प्रोमिला शील ने बताया- मैंने अपनी आंखों से देखा। 25 अगस्त को हमारे गांव में काले कपड़े पहने और नकाबपोश लोगों ने हमला बोला। उन्होंने गांव के कई लोगों की पिटाई की। फिर बांधकर जंगल की तरफ ले गए। फिर सबको धारदार हथियारों से मार डाला।
- प्रोमिला के मुताबिक- कम से कम 100 लोगों की हत्या की गई। इसमें मेरे पति और रिश्देदार भी शामिल हैं। सभी की बॉडीज उसी वक्त खोदे गए गड्ढों में फेंक दीं।
रोहिंग्या बोले- हमारी इमेज खराब करने की साजिश

- हिंदुओं और बौद्धों की हत्या का आरोप लगने के बाद अब रोहिंग्या इसमें अपना हाथ होने से इनकार कर रहे हैं। एक महिला ने भी कहा कि वो ये नहीं कह सकती कि हमला करने वाले कौन थे। लेकिन इतना जरूर तय है कि हमलावरों का निशाना हिंदू ही थे।
- एक रोहिंग्या ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा- ये काम हमारा नहीं है। बौद्धों की ये हरकत है। आरोप हमारी इमेज खराब करने के लिए लगाए जा रहे हैं।
कौन हैं रोहिंग्या?
- इतिहासकारों के मुताबिक रोहिंग्या म्यांमार में 12वीं सदी से रहते आ रहे मुस्लिम हैं।
- अराकान रोहिंग्या नेशनल ऑर्गनाइजेशन ने कहा, "रोहिंग्या हमेशा से ही अराकान में रहते आए हैं।
- ह्यूमन राइट वाच के मुताबिक, 1824-1948 तक ब्रिटिश रूल के दौरान भारत और बांग्लादेश से प्रवासी मजदूर म्यांमार में गए, क्योंकि ब्रिटिश एडमिनिस्ट्रेटर्स के मुताबिक म्यांमार भारत का हिस्सा था इसलिए ये प्रवासी देश के ही माने जाएंगे।
 
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