वो मेरी पीठ में खंजर ज़रूर उतारेगा मगर निगाह मिलेगी तो, कैसे मारेगा और नहीं, ये वो दोस्ती का दौर नहीं रिश्ते हाथ रोकेंगे तो नजरे झुका के मारेगा......