Miss Alone
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मध्य प्रदेश का रहने वाला 12 वर्षीय महेंद्र एक ऐसी दुर्लभ जन्मजात बीमारी मायोपैथी से पीड़ित था, जिससे उसकी गर्दन नीचे की तरफ झुक गई थी। वह सीधा सामने की तरफ देख नहीं पाता था। अपोलो अस्पताल के ऑर्थोपेडिक्स विभाग के स्पाइनल सर्जन डॉ. राजगोपालन कृष्णनन के नेतृत्व में डॉक्टरों ने ऑपरेशन के जरिये उसकी गर्दन सीधी कर दी। हालांकि, उसकी शारीरिक संरचना ऐसी है कि उसे व्हील चेयर पर ही जीवन गुजारना पड़ेगा। वह चल पाने में भी समक्ष नहीं है।
डॉ. राजगोपालन कृष्णनन ने बताया कि शरीर में एक खास तरह की प्रोटीन की कमी के कारण यह जन्मजात बीमारी होती है, जो बहुत ही दुर्लभ है। इसमें पीड़ित मरीज के शरीर में मांसपेशियों का विकास नहीं हो पाता। महेंद्र का भी कुछ यही हाल है। उसके शरीर में सिर्फ हड्डियां और त्वचा ही विकसित हो पाई हैं, जबकि मांसपेशियों का विकास नहीं हुआ। इस वजह से मांसपेशियां इतनी ढीली हैं कि उसकी गर्दन बचपन से ही झुकी है और सिर सीने से सटा रहता था।
डॉ. कृष्णनन ने बताया कि बच्चे की गर्दन की रीढ़ की हड्डी के सी-1 वर्टिब्रा से लेकर सी-3 वर्टिब्रा तक ऑपरेशन किया गया। इसके बीच की कुछ डिस्क निकाल दिए गए हैं और उसके कुल्हे से हड्डी लेकर प्लेट और स्क्रू के जरिये जोड़ दी गई। ऑपरेशन के बाद उसकी गर्दन सीधी हो गई है। बाद में उसका एक और ऑपरेशन करना पड़ सकता है ताकि सी-4 वर्टिब्रा को भी ठीक किया जा सके, क्योंकि एक साथ सी-1 से सी-4 वर्टिब्रा तक ऑपरेशन करना जोखिम भरा काम था।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के पहले वह कुछ बोल नहीं पाता था और मायूस रहता था। ऑपरेशन के बाद उसकी मुस्कुराहट लौट गई है और अब वह सामने की तरफ देखने लगा है। ब्रिटेन की महिला और डॉक्टर की पत्नी ने की मदद महेंद्र के इलाज में ब्रिटेन की रहने वाली एक महिला जूली जोंस ने आर्थिक मदद की।
इसके अलावा डॉ. राजगोपालन कृष्णनन की पत्नी ने मदद की, जो इंग्लैंड में वैज्ञानिक हैं। उन्होंने इंटरनेट पर बच्चे की तस्वीर देखकर डॉ. कृष्णन्न को ईमेल किया और पूछा कि क्या उसकी गर्दन सीधी की जा सकती है। इसके बाद बच्चे को अपोलो अस्पताल लाया गया, जहां 22 फरवरी को उसका ऑपरेशन किया गया।