प्रति वर्ष 800 सूर्यों को जन्म देती है यह आकाश

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लंदन। खगोल वैज्ञानिकों को 9.8 प्रकाश वर्ष दूर एक ऐसी आकाशगंगा का पता चला है जिसमें प्रति वर्ष करीब 800 नए सूर्य अस्तित्व में आते हैं। नासा-ईएसए की हबल दूरबीन से यह खोज की गई है। यह पहली बार है जब एक विशाल तारासमूह के बीचोंबीच इतनी बड़ी आकाशगंगा का पता चला है। इस तारासमूह का नाम एसपीआर्क्स104956 है।

वैज्ञानिकों के अनुसार हमारी अपनी आकाशगंगा एक छोटे तारासमूह में स्थित है और इसमें प्रतिवर्ष 2 नए सूर्य ही बनते हैं। वहीं अब तक यह भी माना जाता था कि तारासमूहों के मध्य में स्थित आकाशगंगाएं अक्सर पुराने या मृत सितारों से मिलकर बनी होती हैं। इसके विपरीत यह आकाशगंगा लगातार नए सितारों को जन्म दे रही है। कनाडा की मक्गिल यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता ट्रेसी वेब के अनुसार, 'हमारा मानना है कि इस तारासमूह के बीच स्थित यह विशाल आकाशगंगा अन्य छोटी आकाशगंगा के साथ मिलकर नए सितारों को जन्म दे रही है।'

इस आकाशगंगा को पहली बार नासा के स्पिट्जर टेलिस्कोप से खोजा गया था। हबल दूरबीन से बाद के अध्ययनों से इसकी गतिविधियों का अंदाजा लगाया गया था। वैज्ञानिकों के अनुसार इस तारासमूह में करीब 27 आकाशगंगाएं हैं और इसका कुल द्रव्यमान 400 खरब सूर्यों के बराबर है।
 
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