ऑनर किलिंग में 5 को सजा-ए-मौत

एक गोत्र में शादी से जुड़े ऑनर किलिंग के एक मामले में करनाल की स्थानीय अदालत ने पांच दोषियों को मौत की सजा सुनाई है। इस मामले मे
ं छठे आरोपी को उम्रकैद और सातवें आरोपी को सात साल कैद सुनाई गई है। अदालत ने छह आरोपियों को जोड़े की हत्या और एक आरोपी (ड्राइवर)को अपहरण का दोषी ठहराया था।

2007 में सामने आए इस बहुचर्चित मामले में अडिशनल डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज वाणी गोपाल शर्मा की अदालत ने फैसला सुनाया। मृत्युदंड पाने वाले पांचों दोषी लड़की के रिश्तेदार हैं, जबकि छठा आरोपी खाप पंचायत का मुखिया है। इस मामले में सातवां दोषी ड्राइवर मनदीप है, जिसे 7 साल की सजा सुनाई गई है।



पुलिस के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम की मरम्मत करने वाली दुकान पर नौकरी करने वाले कैथल के गांव करोड़ा के मनोज ने बबली के साथ घर से भागकर 7 अप्रैल 2007 को चंडीगढ़ में विवाह कर लिया था। बबली के परिजन इस विवाह से नाराज थे। प्रेमी युगल ने अपनी जान पर खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग भी की थी। इसी सिलसिले में 15 जून 2007 को प्रेमी जोड़े को कैथल की अदालत में पेश किया गया। तब अदालत ने पुलिस को मनोज और बबली को समुचित सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया था।

पुलिस का कहना है कि जून 2007 में लड़की पक्ष के रिश्तेदारों ने इस जोड़े को करनाल जा रही बस से बुटाना के पास जबरन उतार लिया और बाद में दोनों के शव नारनौंद के समीप नहर में पाए गए थे। शव मिलने के बाद मनोज की मां चंद्रपति ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। पुलिस ने हत्याकांड में नामजद बबली के भाई सुरेश सहित सात लोगों को नामजद कर गिरफ्तार कर लिया था। नामजद राजेंद्र, गुरदेव, सतीश, बारू राम, गंगाराज व ड्राइवर मनदीप को गिरफ्तार करने के बाद जेल भेज दिया गया था।

सजा पाने वालों में पांच लड़की के रिश्तेदार हैं। इसमें लड़की का भाई सुरेश, चचेरे भाई गुरदेव और सतीश तथा लड़की के चाचा बारू राम और राजिंदर शामिल हैं। इस शादी का विरोध करने वाले खाप पंचायत के मुखिया गंगाराम को भी अदालत ने नहीं बख्शा। इसके अलावा ड्राइवर मनदीप सिंह को भी अदालत ने मनोज और बबली के अपहरण की सजा सुनाई।

2007 में हरियाणा पुलिस के हेड कांस्टेबल जयेंद्र सिंह, जिसे प्रेमी युगल की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, को मनोज और बबली के ठिकाने की जानकारी लड़की पक्ष को देने का आरोपी ठहराया गया था। कैथल के पुलिस प्रमुख ने बताया कि इस मामले में आरोपी कांस्टेबल के खिलाफ उस समय विभागीय जांच का आदेश दिया गया था।
 
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