Palang Tod
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पंजाब के पूर्व डीजीपी, के पी एस गिल ने पंजाब में आजाद भारत के सबसे बड़े आतंकवाद विरोधी मुहिम का अगुआई की और पंजाब से आतंकवाद का सफाया किया। उत्तर पूर्वी राज्य, खासकार असम में उल्फा के खिलाफ अभियान में भी गिल को खासी सफलता मिली। रिटायर होने के बाद भी उनकी सक्रियता में कोई कमी नहीं आई।
2006 में एक साल के करीब वो छत्तीसगढ़ सरकार के सुरक्षा सलाहकार भी रहे। उनके समय में नक्सलियों के खिलाफ शुरू किया गया सलवा जुड़ूम लगातार आलोचना का शिकार बनता रहा। गिल मानते हैं कि ये बहुत अच्छी शुरुआत थी लेकिन इसके खिलाफ सोचा समझा प्रोपेगंडा किया गया। स्थानीय प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार और पुलिस की सुस्त रफ्तारी से भी केपीएस गिल नाराज़ दिखे। जिस तरह से से नक्सलियों के हाथों मंगलवार को सीआरपीएफ के 26 जवानों की हत्या हुई, गिल को लगता है कि सुरक्षा बलों को इलाके की सही जानकारी नहीं मिल रही है।
2006 में एक साल के करीब वो छत्तीसगढ़ सरकार के सुरक्षा सलाहकार भी रहे। उनके समय में नक्सलियों के खिलाफ शुरू किया गया सलवा जुड़ूम लगातार आलोचना का शिकार बनता रहा। गिल मानते हैं कि ये बहुत अच्छी शुरुआत थी लेकिन इसके खिलाफ सोचा समझा प्रोपेगंडा किया गया। स्थानीय प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार और पुलिस की सुस्त रफ्तारी से भी केपीएस गिल नाराज़ दिखे। जिस तरह से से नक्सलियों के हाथों मंगलवार को सीआरपीएफ के 26 जवानों की हत्या हुई, गिल को लगता है कि सुरक्षा बलों को इलाके की सही जानकारी नहीं मिल रही है।