नो व्हिस्की, बीयर प्लीज

नो व्हीस्की, बीयर प्लीज। इन दिनों पसीने से तरबतर लोग ठेकों पर पहुंचते ही डिमांड चेंज कर देते हैं। गर्मी में गला तर करने के लिए बीयर पर हर माह चंडीगढ़ में छह करोड़ रुपये से अधिक खर्च होते हैं। प्रतिदिन बीयर की 60 हजार बोतलें बिकती हैं। खाली बोतल कबाड़ी को बेचकर हर महीने 25—30 लाख रुपये कमाए जा रहे हैं।

सर्दी के मुकाबले 70 फीसदी इजाफा : गर्मी में कोल्ड ड्रिंक और जूस नहीं बल्कि बीयर पर जोर है। शहर के बार की बात करें तो इनमें बीयर की सेल सर्दी के मुकाबले 60 से 70 प्रतिशत बढ़ गई है। सेक्टर 35 के एक होटल प्रबंधक का कहना है कि गर्मी में 75 फीसदी मार्केट बीयर का ही होता है।

इस साल 20 फीसदी खपत ज्यादा: एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट के अनुसार इस गर्मी के मौसम में पिछले साल के मुकाबले बीयर की खपत 20 फीसदी बढ़ी है। वर्ष 2009 में अप्रैल, मई और जून में विभाग ने बीयर की तीन लाख पेटी के परमिट जारी किए थे। इस वर्ष मार्च, अप्रैल और मई में 3.78 लाख पेटी के परमिट जारी हुए।

वाइन का भी जलवा : शराब ठेकेदार जतिंद्र गुप्ता के अनुसार शहर में गर्मी के मौसम में बीयर खूब बिक रही है। हार्ड ड्रिंक की जगह युवा बीयर और वाइन पर जोर दे रहे हैं। आईटी प्रोफेशनल नीरज शर्मा के मुताबिक गर्मी के दिनों में बीयर डे टाइम ड्रिंक के तौर पर इस्तेमाल होता है। इससे बीयर की खपत बढ़ना स्वाभाविक है। इसमें कम एल्कोहल कॉन्टेंट होता है। इस वजह से बीयर पीने वाली महिलाओं की तादाद भी कम नहीं है। सेक्टर 22 में वाइन शॉप के सेल्समैन के मुताबिक अप्रैल माह से ही बीयर की मांग बढ़ने लगी थी। इन दिनों 75 फीसदी ग्राहक बीयर ही खरीद रहे हैं। अमूमन रेगुलर कस्टमर रोज औसतन दो बीयर पी लेता है। इन दिनांे रम या अन्य रेगुलर ब्रांड की व्हिस्की की डिमांड 30 से 40 प्रतिशत कम हो गई है।

विदेशी ब्रांड भी : शहर में जापान की नंबर वन बीयर असाही, मैक्सिको की कोरोना एक्सट्रा, आस्ट्रेलियर की पावर होर्स, हालैंड की आरेंज बूम, हांगकांग की हेनीकेन समेत दर्जन से ज्यादा फॉरेन ब्रांड मौजूद हैं।

बावजूद इसके रेगुलर ब्रांड से आगे कोई नहीं निकल पाया। लोग किंगफिशर, गोल्डन ईगल, गॉड फादर, हैवर्डस, फोस्टर और थंडर बोल्ट की ही डिमांड कर रहे हैं। स्ट्रांग बीयर की खपत 70 प्रतिशत और लाइट बीयर की 30 प्रतिशत है।
 
Top