ना शक्ल ना आकार कोई............जो चाहे ख़ुद में भर ले &#23

~¤Akash¤~

Prime VIP
आज आइना देखा तो वही पुराना चेहरा नजर आ रहा था,वही मासूमियत
ना कोई फरेब,ना दाग कोई ना कोई डर ना शिकन, आइना कह रहा हो जैसे मुझे कहाँ
छुपा रखा था आज तक तुमने, आज ख़ुद के रूबरू हो गया था कोई आज ख़ुद से ही
मुलाकात की मैंने...ये जिस्म बोझ बन गया था रूह पर कसने लगा हो रूह पर जैसे
सो उतार के फेंक दिया जिस्म को रूह से मैंने आज....... ना जाने कितने लिबास ओढ़ रखे
थे जिस्म के मैंने......
आजाद हो गई हैं जमीं आज मेरे नीचे से बस उड़ता फिरता हूँ बादलो की तरह ना आज आँखों
का धोखा ना फ़रेब ना धूप ना साया ना इजतिराब कोई..
ना शक्ल ना आकार कोई............जो चाहे ख़ुद में भर ले मुझे आज
 
Top