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EXCULSIVE: निशाने पर डी कंपनी का नेटवर्क, सीमा से सटे इलाकों में सरगर्मी बढ़ी



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EXCULSIVE: निशाने पर डी कंपनी का नेटवर्क, सीमा से सटे इलाकों में सरगर्मी बढ़ी
दाउद के भाई कासकर की गिरफ्तारी के बाद नेपाल सीमा से सटे इलाकों में सुरक्षा एजेंसियों की सरगर्मी बढ़ गई है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दाउद इब्राहिम के छोटे भाई इकबाल कासकर से मुंबई पुलिस ने अहम सूचनाएं उगलवाई हैं। कासकर पर शिकंजे से भारत-नेपाल सीमा पर सक्रिय डी कंपनी का तस्करी नेटवर्क निशाने पर आ गया है। इसके तार उत्तरप्रदेश के माफिया से भी जुड़े हुए बताए जा रहे हैं। कासकर को मुंबई में रंगदारी वसूलने के एक मामले में पिछले दिनों गिरफ्तार किया गया।
भारत में दाउद के नेटवर्क, उससे जुड़े लोकल माफिया और ड्रग्स तस्करी के पूरे नेटवर्क के बारे में कासकर ने कई राज उगले हैं। जिन्हें मुंबई पुलिस ने उत्तरप्रदेश पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों से साझा किया है। जिसके बाद उत्तरप्रदेश के सिद्धार्थनगर, बहराइच, श्रावस्ती और गोरखपुर सहित नेपाल सीमा से सटे इलाकों में सरगर्मी बढ़ गई है।
कासकर ने उगले कई राज
इकबाल कासकर आठ दिनों तक मुंबई पुलिस की रिमांड में रहा। बताया जा रहा है कि भारत-नेपाल सीमा पर डी कंपनी के ड्रग्स तस्करी नेटवर्क सहित कई अहम जानकारियां हाथ लगी हैं। मुंबई पुलिस से मिले इनपुट के बाद उप्र के सीमावर्ती इलाकों में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने सक्रियता बढ़ा दी है। सीमा सुरक्षा बल और इंटेलीजेंस भी बॉर्डर पर इस नेटवर्क के सिरे खंगाल रहा है।
यूपी के माफिया का बॉस कासकर
इकबाल को यूपी के अवैध धंधेबाजों और माफिया का सरपरस्त बताया जा रहा है। यहां उसका तगड़ा नेटवर्क है। उसने ही डी कंपनी में शूटर के तौर पर यूपी के कई लड़कों की भर्ती की थी। नेपाल के रास्ते ड्रग्स, फेक करेंसी और हथियारों की सप्लाई करने जैसे कामों को इसका नेटवर्क अंजाम देता है। बताया जा रहा है कि कासकर की गिरफ्तारी से यूपी के माफिया में खलबली मच गई है।
महिलाओं से कराते हैं तस्करी
सीमा से सटे यूपी के सिद्धार्थनगर में 44 महिलाएं चरस और हेरोइन की तस्करी में जिला कारागार में बंद हैं। इसमें से 27 नेपाल की हैं। बहराइच में कुल 50 महिलाएं बंद हैं। इसमें से 35 नेपाल की हैं। वहीं श्रावस्ती में 45 महिलाएं जेल में बंद हैं। बताया जा रहा है कि इकबाल का गिरोह तस्करी के लिए महिलाओं का इस्तेमाल करता है। जेल में बंद महिलाओं की मानें तो नेपाल से भारतीय सीमा में चरस का पैकेट पहुंचाने के लिए तस्कर उन्हें 10 से 30 हजार रुपए देते थे। महिलाओं को इस काम में इसलिए लगाया जाता था कि वे गुप्तांगों में ड्रग्स के पैकेट्स छुपाकर सीमापार ले जाती थीं।
छह माह से उम्रकैद तक सजा
अधिवक्ता राधेश्याम शुक्ला के मुताबिक तस्करी में सजा बरामद होने वाले मादक पदार्थ के वजन के अनुसार निर्धारित होती है। इन्हें छह माह से उम्रकैद तक की सजा होती है। लेकिन ये महिलाएं पैसे के लालच में आकर तस्करों के झांसे में फंस जाती हैं।
ये है समस्या
दोनों देशों की सीमाएं खुली हुई हैं। लेकिन तस्करी का काम ग्रामीण और वन्य इलाकों से होता है। महिला तस्करों की मानें तो इन्हीं रास्तों का इस्तेमाल तस्करी के लिए वे किया करती थीं। बस, उन्हें सीमा सुरक्षा बल को चकमा देना पड़ता है। मुख्य प्वाइंट्स पर तो एसएसबी, पुलिस, कस्टम व अन्य सुरक्षा एजेंसियां मुस्तैद हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों से सटे सीमा क्षेत्र में मात्र सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) के जवानों द्वारा पेट्रो¨लग होती है। सीमा का चिह्नांकन तो किया गया है, लेकिन इसके साथ तारों की बाड़ न होने से घुसपैठ आसान हो जाती है।
 
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