मेरी ग़ज़ल

Goku

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मेरी ग़ज़ल जो बड़ी जगमगा के निकली है
ये रौशनी , कई पत्थर हटा के निकली है

हवाएं रोज बताती हैं छेड़ कर मुझ को
वो घर से कौनसी खुशबु लगा के निकली है

न जाने किसका मुक़द्दर संवरने वाला है
वो एक किताब में चिट्ठी छुपा के निकली है

मैं सारी उम्र जिन्हें पार कर न पाउँगा
वो चन्द ऐसी लकीरें बना के निकली है.....
 
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