एक तू है तुझको तेरा झूठ भी रास आ गया एक मैं हूँ मुझको मेरी हक़ ए बयानी खा गयी हूँ परेशां क्या करू मैं उम्र ए रफ्ता का इलाज मेरा बचपन खा गयी मेरी जवानी खा गयी