मैं पत्रकार

Arun Bhardwaj

-->> Rule-Breaker <<--
सुना है कि अब मैं पत्रकार हो गया हूं
ना समझ था पहले अब समझदार हो गया हूं।

बहुत गुस्सा था इस व्यवस्था के खिलाफ
अब उसी का भागीदार हो गया हूं।

दिल पसीजता था राह चलते हुए पहले
कलम हाथ में आते ही दिमागदार हो गया हूं।

कभी नफरत थी कुछ छपी हुई खबरों से मुझे
आज उन्हीं खबरों का तलबगार हो गया हूं।

सोचा था अलग राह पकडूंगा पत्रकार बनकर
अब मैं भी भेड़ चाल में शुमार हो गया हूं।

लिखकर बदलने चला था दुनिया को मैं
नौकरी की वफादारी में खुद बदल गया हूं।

मुझे दिख रही है देश की तरक्की सारी
क्योंकि अब मैं नेताओं का यार हो गया हूं।

इंकबाल वंदे मातरम कई नारे आते हैं मुझे
पर क्या करूं विज्ञापनों के कारण लाचार हो गया हूं।

ढूंढता था पहले देश की बेहाली के जिम्मेदारों को
समझ गया हूं सब कुछ, अब मैं समझदार हो गया हूं,

सुना है कि अब मैं पत्रकार हो गया हूं।

Writter - Unknown
 
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