लेके सर तश्त में मेरा जबसे कसम खाई है..

~¤Akash¤~

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ख़त के पुरजे क्यूँ इस और उड़ा लायी है
मेरी आँखों मे नमी बाद-ए-सबा लायी है

ना जाने किस के ख्यालों ने छुआ है मुझको
ले के अनजान महक आज हवा आई है

दिखावे के लिए तुझे भूल गये हैं लेकिन
दिले-नादाँ को तेरी याद बहुत आई है

सजा तो दी है कभी हौसला भी दे मुझको
ज़िन्दगी अब ये मेरी हार से तंग आई है

हमने देखा ही नहीं उसको बरसते अब तक
सदा सुनते रहे लोगों से घटा छाई है

बस उसके बाद बेवफाई छोड़ दी उसने
लेके सर तश्त में मेरा जबसे कसम खाई है..
 
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