कविता क्या है ?

Saini Sa'aB

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कविता क्या है ?
भोर में पाखी का कलरव गान
फिर नील गगन में
पंख खोलकर तैरना
लेना ऊँची उड़ान।
किसलय की नोक पर फिसलती ओस की बूँद
पहाड़ की तलहटी में
झरने का मधुर गान।
गरम लोहे पर
पसीने से तरबतर
हथौड़ा चलाते मज़दूर की थकान
लहलाती फ़सल के
पकने के इन्तज़ार में
हुक्का गड़गुड़ाता किसान।
शिशु को चूमती हुई
दुनिया से बेखबर
माँ की हल्की मुस्कान।
कल लड़ने के बाद
आज फ़िर से मिल-जुलकर
खेलते बच्चे।
किवाड़ के पल्ले पर कुहनी टिकाए
पति–प्रतीक्षारत
देहरी पर खड़ी पत्नी।
खेतों में धमाचौकड़ी मचाता बछड़ा
गली के नुक्क्ड़ पर बिल्ली के साथ
अठखेलियाँ करता पिल्ला
यही तो कविता है
 
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