कश्मीर से कन्याकुमारी तक अब एक ही परमिट

कश्मीर से कन्याकुमारी तब अब ट्रकों के लिए एक ही परमिट होगा। ट्रांसपोर्ट कंपनियों को अब हर राज्य में जाने के लिए अलग से फीस नहीं देनी होगी। नेशनल परमिट के लिए केवल 15 हजार रुपए फीस अदा करके ट्रक आपरेटर किसी भी राज्य में जा सकेंगे। यह व्यवस्था एक मई से लागू हो जाएगी।

आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की लंबे समय से लटकी आ रही यह मांग केंद्र सरकार ने मान ली है हालांकि टोल टैक्स संबंधी अभी भी कोई फैसला नहीं हो सका है। कांग्रेस की इस मांग पर कार्यवाही करने के लिए भूतल परिवहन मंत्रालय ने 40 दिनों का समय मांगा है। मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने धमकी दी है कि यदि यह मांग नहीं मानी गई तो ट्रक आपरेटर पूरे देश में चक्का जाम कर देंगे।


आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के प्रधान चरन सिंह लोहारा के अनुसार नेशनल परमिट की मांग पूरी होने से ट्रक आपरेटर्स को काफी लाभ होगा। उन्होंने बताया कि अब हर राज्य में पांच हजार रुपए फीस देने की बजाए 15 हजार रुपए सेंट्रल फंड में जमा करवाने होंगे।


हालांकि इस मांग पर कई राज्यों ने ऐतराज जताया था। उनका मानना है कि ऐसा किए जाने से उनके राजस्व को नुकसान होगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से परमिट फीस का डाटा मंगवाया। एक मई 2010 से लेकर 30 अप्रैल 2011 तक इसे प्रयोग के तौर लागू किया गया है।


यदि इससे राज्यों को मिलने वाली राशि में कमी आई तो इस पर पुनर्विचार किया जा सकता है। नेशनल परमिट लागू होने से अब दो नंबर में गाड़ियां चलाने वाले भी खुलकर परमिट ले सकेंगे, पहले एक गाड़ी का परमिट लेते थे और अन्य गाड़ियां चोर रास्तों से निकालते थे, पकड़े जाने पर न केवल हजारों रुपए जुर्माना या रिश्वतें देते थे।


रेडियल टायर पर एंटी डंपिंग ड्यूटी क्यों?


चरन सिंह लोहारा ने बताया कि टायर कंपनियों ने आपस में मिलीभगत करके केंद्र से एंटी डंपिंग डच्यूटी टायरों पर लगवा ली हालाकि रेडियल टायर की मांग के अनुसार भारत की कंपनियों दस फीसदी भी माल उपलब्ध नहीं करवा पाती हैं। ऐसे में एंटी डंपिग ड्यूटी क्यों? उन्होंने बताया कि यह ड्यूटी आयातित माल के कारण अपने देश की कंपनियों को नुकसान से बचाने के लिए लगाई जाती है।


उन्होंने बताया कि कंपनियों ने मानमानी करते हुए फरवरी के अंतिम सप्ताह में एक बार फिर से टायरों के रेट 1000 से लेकर 1500 रुपए तक बढ़ा दिए हैं। उन्होंने इसे कंपनियों की लूट बताते हुए केंद्र सरकार से यह ड्यूटी हटाने की मांग की ताकि विदेशी कंपनियों के टायर आ सकें।
 
Top