preet_singh
a¯n¯i¯m¯a¯l¯_¯l¯o¯v¯e¯r¯
कभी सोचा न था तेरी मोहब्बत में ये दिन भी आयेगा
गड्डी हो जाएगी पंचर और आशिक धक्का लगाएगा
हर आशिकं का यही हाल देर सबेर होता है
अपनी महबूबा को वो पिट्ठू बनकर ढोता है
तुझे रानी बना कर रखने का वादा जो किया था
मैं ऐसा आशिक हूँ जो गड्डी पर तो क्या तुझे कन्धों पर भी बिठाएगा
गड्डी हो जाएगी पंचर और आशिक धक्का लगाएगा
हर आशिकं का यही हाल देर सबेर होता है
अपनी महबूबा को वो पिट्ठू बनकर ढोता है
तुझे रानी बना कर रखने का वादा जो किया था
मैं ऐसा आशिक हूँ जो गड्डी पर तो क्या तुझे कन्धों पर भी बिठाएगा