क्या राम भगवान था ?

Dhillon

Dhillon Sa'aB™
Staff member
How and what is that ? Gita, kado girea dharam ton ? Actually, dharam te khelea geya da ki matlab aa....explain that to me pls manu pata nai jayada

Just agreed Bachitar Natak dharam te likhiya gaya, Not agreeing ke baki digg paye.
sabh apni apni jagah
 

Mahaj

YodhaFakeeR
Fer thnu ehi nai na pata hoea k ee dhram te kida likhe hoea.....dharam te khelea geya da e3 das deo.......dharam te shastar v likhe gaye aa lol ....dharam te jb v barra kujj likh dinda ....agreed te eda keeta c jida itunes dian terms and conditions hundia
Usko samja thaa mein manzilon ka ukaab
Jab hawa chali...wo khud anjaan rahi ban gaye
 

Shritu

Elite
क्या राम भगवान था ?
में राम को सिर्फ एक राजा समझता हु क्योकि एक भगवान कभी भी किसी का सहारा नहीं लेता जिस छल कपट से उसने रावन जेसे योधा को मारा वो यही सिद्ध करता है के राम भगवान हो ही नहीं सकता
क्या आप में से कोई भी इस कथन से सहमत है के एक भगवान की आधी ज़िन्दगी जंगल में बंदरो और भालुओ के साथ गुज़री और तो और एक भगवान अपनी पत्नी को ढूँढने तक में सक्षम नहीं था इसीलिए बंदरो और भालुओ का सहारा लेकर एक साहसी योधा को पीठ पीछे वार करके मारा ! यह सारे गुण किसी भगवान के चरित्र को नहीं दरशाते बल्कि किसी भी व्यक्ति के देवालीयेपन का सबूत देते है
सीता की अग्नि परिक्षा इस बात का सबूत है के राम बुरा पति ही नहीं बल्कि एक शक्की मानसिकता का रोगी भी था जिसने सिर्फ एक मछुआरे की बात मानकर सीता को अग्नि मै छलांग लगाने के लिया कहा यह केसी मर्यादा है उस मर्यादा पुरूषोत्तम की के एक भगवान होकर भी वोह अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता रहा रावन के साथ 2 वर्ष बिताने के बाद सीता कभी राम के साथ खुश नहीं रही और हमेशा राम ने उसका उत्पिरण किया
क्या एक भगवान को किसी राक्षस से युद्ध की ज़रुरत पड़ सकती है अगर है तो भगवान तो सारी सृष्टि का रचयेता है उसी ने मनुष्य राक्षस असुरो को बनाया फिर भी वोह भालू और बंदरो की फ़ौज लेकर एक योधा से लड़ा और उसके भाई को सत्ता और कुर्सी का लालच देकर साथ मिलाया!

जी नही! राम स्वयं कोई भगवान नही, बल्कि श्री हरि विष्णू द्वारा त्रेतायुग में लिया गया अवतार मात्र था!!
जिनका प्रमुख उद्देश रावण तथा अन्य असुरों से धरती लोक को मुक्त कराना था। हम आपकी इस बात से सहमत हैं कि रावण एक योद्धा था अपितु वह एक प्रकांड पंडित भी था। अतः वह ये बात भली प्रकार जानता था कि उसका वध एक वीर राजा के हाथों होगा जिसका मुख्य कारण एक पर स्त्री होगी। आपने रावण जैसे असुर का श्री राम द्वारा छलपूर्वक वध करने की बात कही तो आपसे भी एक प्रश्न पूछना चाहेंगें कृपया ये बतायें कि... एक महान योद्धा ने छलपूर्वक अपने मामा मारीच को स्वर्ण मृग का रूप धारण करवा कर माता सीता के समक्ष क्यों भेजा??? इसके अतिरक्त वह स्वयं भी ब्राह्मण वेश में क्यों माता सीता से भिक्षा मांगने गया?? श्री राम जी की उपस्थिति में ही क्यों नही माता सीता का अपहरण कर लिया??
 

Shritu

Elite
श्री राम को मर्यादा पुरूषोत्तम कहा जाता है। मेरे विचार में आपको इसका अर्थ विस्तार से बताने की आवश्यकता नहीं है।
और रही बात एक मछुवारे की बात सुनकर माता सीता का त्याग करने की तो आपको याद दिलाना चाहेंगें कि , मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम ने एक- पत्नि व्रत लिया था। जिस समयकाल में राजाओं को बहु-पत्निक श्रेणी में माना जाता था। यहां तक कि उनके स्वयं के पिता राजा दशरथ ने भी तीन विवाह किये थे।
आपकी जानकारी के लिये बता दें कि भगवान धरती पर तभी अवतार लेते हैं, जब धरती पर अत्याचार बढ़ता है, धर्म का नाश होने लगता है या धरतीवासी दिशाहीन जीवन यापन करने को मजबूर हो जाते हैं। तब जीवन को सही दिशा देने के लिये भगवान का भिन्न-२ रूपों में अवतरण होता है... जैसा कि सनातन धर्म में होता रहा है।
कहने का सार ये है कि हम मनुष्यों को जीवन की सही सीख देना..... अर्थात् माता सीता द्वारा दो माह अशोक वाटिका में व्यतीत करने के पश्चात् लोक लाज के ( समाज द्वारा तिरस्कृत किये जाने का भय) कारण उन्हें माता सीता का त्याग करना पड़ा।। वरना आज लोग ये भी कह सकते थे कि ये कैसा राजा था? जिसने रावण की कुटिया से लौटी अपनी पत्नी को दोबारा अपना लिया???
 

Shritu

Elite
क्या एक भगवान को किसी राक्षस से युद्ध की ज़रुरत पड़ सकती है अगर है तो भगवान तो सारी सृष्टि का रचयेता है उसी ने मनुष्य राक्षस असुरो को बनाया फिर भी वोह भालू और बंदरो की फ़ौज लेकर एक योधा से लड़ा और उसके भाई को सत्ता और कुर्सी का लालच देकर साथ मिलाया!

जी हां बिल्कुल पड़ सकती है, क्यों कि जब श्री हरि विष्णु ने त्रेतायुग में राम अवतार लिया तो वो एक साधारण मनुष्य की भांति ही जीवन यापन किया। यदि उन्हें चमत्कार ही दिखाने होते तो मानव योनी में इस पाताल लोक पर वास करने का कोई औचित्य ही नही बनता है। ये सत्य है कि भगवान ही सृष्टि के रचयिता हैं और भगवान ने ही सभी साधू-संतों, जीव जन्तुओं, पेड़ पौधौं, नर नारियों, असुरों को बनाया है; किन्तु भगवान किसी को बाध्य नही करते अपनी पूजा प्रार्थना करने के लिये, किन्तु जब उन्ही राक्षसों द्वारा पहले उनकी पूजा व तप से शक्तियां प्राप्त करना फिर उनके ही भक्तों की पूजा भंग करना, साधू-संतों का तप में बाधा डालना इत्यादि कृत्यों के कारण उनके साथ युद्ध करने को विवश होना पड़ता है।

उन्होने मात्र भालू(जामवंत) बंदरों(सुग्रीव व हनुमान) ही नहीं अपितु पक्षियों(जटायु/संपाति) नल-नील(वानर सेना के दो इंजीनियर) यदां तक कि गिलहरी की भी सहायता ली थी। आप गिलहरियों की पीठ पर जो धारियां देखते हैं वो श्री राम द्वारा उसे दी गयी शाबाशी का ही चिन्ह है, जो कि गिलहरियों की पीठ पर अंकित हो गया।
 

Shritu

Elite
विभीषण ने श्री राम की भक्ति की थी। अतः वह अपने भाई रावण के विषय में सब जानता था। उसके पाप कर्म ही उसे उसकी मृत्यु तक पहुंचायेंगें, ये वह भी जानता था। क्यों कि सीता हरण से बहुत पहले उसने अपने भाई कुबेर के पुत्र नलकुबेर की पत्नि अप्सरा रंभा पर भी बुरी नजर डाली थी।
अत: विभीषण ने ही श्री राम को बताया था कि रावण का वध किस प्रकार करना है। जो कि धर्म का कार्य था। ये युद्ध मात्र युद्ध नही अपितु एक धर्म युद्ध था। अब आप ही आंकलन कीजिये कि..., "क्या राम भगवान था?"
 
U

Unregistered

Guest
Waah!!!
Kitni achi debates chalti hain unp par. Maza aa gaya dekh kar.
Par ek baat batana zara: kabhi kisi aur dharam pe ye sawaal kyun nahin uthaye kisi ne?
Arrey himmat hai to sawaal uthao ladki ke janam se pehle mar jaane par.
Dahej na laane ke liye aag mein jalti hazaron un mahilayon ke jeewan par.
Ya apne desh mein badhte bhrashtachaar par.
Kamaal hai in sab baaton ko andekha kar ke aaj yi yuva peedhi bhagwan ke baare mein sochti hai .
Jise na kisi ne kabhi dekha na suna.
Yuva in sab mein lag jayenge to desh kahan jayega hamara..
Ab mujhpe mat baras padna aab ke sab. Zara socho meri baaton pe gaur karo.
Mujhe na is dharam se kuch lena hai na us dharam se.
Insaniyat ke dharam pe chalte huye apni raah banane walon mein se ek hun.
 
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