श्री राम को मर्यादा पुरूषोत्तम कहा जाता है। मेरे विचार में आपको इसका अर्थ विस्तार से बताने की आवश्यकता नहीं है।
और रही बात एक मछुवारे की बात सुनकर माता सीता का त्याग करने की तो आपको याद दिलाना चाहेंगें कि , मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम ने एक- पत्नि व्रत लिया था। जिस समयकाल में राजाओं को बहु-पत्निक श्रेणी में माना जाता था। यहां तक कि उनके स्वयं के पिता राजा दशरथ ने भी तीन विवाह किये थे।
आपकी जानकारी के लिये बता दें कि भगवान धरती पर तभी अवतार लेते हैं, जब धरती पर अत्याचार बढ़ता है, धर्म का नाश होने लगता है या धरतीवासी दिशाहीन जीवन यापन करने को मजबूर हो जाते हैं। तब जीवन को सही दिशा देने के लिये भगवान का भिन्न-२ रूपों में अवतरण होता है... जैसा कि सनातन धर्म में होता रहा है।
कहने का सार ये है कि हम मनुष्यों को जीवन की सही सीख देना..... अर्थात् माता सीता द्वारा दो माह अशोक वाटिका में व्यतीत करने के पश्चात् लोक लाज के ( समाज द्वारा तिरस्कृत किये जाने का भय) कारण उन्हें माता सीता का त्याग करना पड़ा।। वरना आज लोग ये भी कह सकते थे कि ये कैसा राजा था? जिसने रावण की कुटिया से लौटी अपनी पत्नी को दोबारा अपना लिया???