Palang Tod
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बार बार तुमने मेरे दिल को दहलाया,
मैं अनाड़ी, फिर भी तुझे दिल से लगाया...
अमन की आश में अपनों को गवांया,
और मुहब्बत करने तुझे फिरसे बुलाया
रकीबों के रहमत पर मेरी जिंदगी है,
सब समझ कर भी उनको मिलने बुलाया,
कुछ जिंदगी और सही, कुछ चिराग और सही,
इस दीवानगी में क्या नहीं लुटाया.
दुनिया की बातों का भरम है मुझको,
इस शर्म-ए-सार में तुझे दिल से लगाया.
बीते कल को भुला, अमन की भीख माँगा था,
बदले में फिर से अपनों का खून बहाया.
मैं अनाड़ी, फिर भी तुझे दिल से लगाया...
अमन की आश में अपनों को गवांया,
और मुहब्बत करने तुझे फिरसे बुलाया
रकीबों के रहमत पर मेरी जिंदगी है,
सब समझ कर भी उनको मिलने बुलाया,
कुछ जिंदगी और सही, कुछ चिराग और सही,
इस दीवानगी में क्या नहीं लुटाया.
दुनिया की बातों का भरम है मुझको,
इस शर्म-ए-सार में तुझे दिल से लगाया.
बीते कल को भुला, अमन की भीख माँगा था,
बदले में फिर से अपनों का खून बहाया.