ठहरे हुए क़दमों से सफ़र पूरा नहीं होता हाथों की लकीरों मे मुकद्दर नहीं होता देखा हैं बिछुड़ कर की बिछुड़ने का असर भी मुज पर तो बहुत होता उस पर नहीं होता उससे भी तुम आईने को महफूज मत समझों जिस हाथ मे अक्सर कोई पत्थर नहीं होता