Punjab News जोर का झटका : जनरेटर की बिजली पर लगा टैक्स

पावर कट की वजह से मुश्किलों भरी सांस ले रही इंडस्ट्री को जनरेटर की आक्सीजन का सहारा है, लेकिन सरकारी नीतियां इंडस्ट्री का आक्सीजन से सांस लेना भी मुश्किल कर रही हैं। सरकार ने जनरेटर से उत्पादित होने वाली बिजली पर प्रति यूनिट की दर से इलेक्ट्रीसिटी डच्यूटी वसूल करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।

पंजाब सरकार के ऊर्जा विभाग द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि औद्योगिक जरूरतों कोपूरा करने के उद्देश्य से उत्पादित हुई बिजली पर 5 फीसदी इलेक्ट्रीसिटी डच्यूटी वसूली जाएगी। हालांकि, यह कर घरेलू प्रयोग के लिए उत्पादित की गई बिजली पर लागू नहीं होगा।


स्पष्ट है कि बिजली संकट के इस दौर में उद्यमियों को पंजाब सरकार से कोई रहम की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। बिजली न होने पर अगर उद्यमी 2.55 रुपए महंगा हो चुके डीजल का प्रयोग कर बिजली का उत्पादन करता भी है, तो उसे सरकार को अतिरिक्त भुगतान करना होगा।


इसके लिए पंजाब राज्य बिजली बोर्ड, इंडियन इलेक्ट्रीसिटी रूल 1956 के तहत मीटर लगाना होगा, जिसका खर्च उपभोक्ता ही वहन करेगा। पंजाब इलेक्ट्रीसिटी (डच्यूटी) रूल, 1958 के तहत जनरेटर से संबंधित रिकॉर्ड की जांच इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर या इंस्पेक्टिंग अफसर किसी भी वक्त कर सकता है।


इस रिकॉर्ड का तिमाही ऑडिट होगा। अपैक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष पीडी शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सरकार के उक्त फैसले की कड़ी निंदा की है। हालांकि, पहले भी यह डच्यूटी प्रस्तावित होने के बाद हटा दी गई थी।


वे कहते हैं, कि पंजाब सरकार को यह नादिरशाही फरमान तुरंत वापस लेना चाहिए। इंडस्ट्री पर इसका प्रतिकूल असर होगा। उनका तर्क है कि राज्य सरकार ने हाल ही में बाहरी राज्यों से जनरेटर की आमद पर एंटी टैक्स लगाया है। जोकि 12.5 फीसदी है।


वे कहते हैं कि सरकार राज्य के उद्योगों को निचोड़ने में कोई भी कसर छोड़ना नहीं चाहती। सरकार ने ऐसा कर नया बोझ इंडस्ट्री पर डाल दिया है। ईईपीसी इंडिया के रीजनल चेयरमैन एससी रल्हन ने भी सरकार के उक्त फैसले को बेहद नकारात्मक कदम बताया है। उनका कहना है कि ऐसा होने से बिजली की उत्पादन लागतों में इजाफा होगा।


उद्यमी बोले : कमर तोड़ देगा सरकार का यह फैसला


जनरेटर से उत्पादित होने वाली बिजली पर सरकार की ओर से टैक्स वसूल करने के फैसले से उद्यमी वर्ग सकते में आ गया है। टैक्सटाइल कालोनी एसोसिएशन के पदाधिकारी अरविंदर राय कहते हैं कि इस फैसले से छोटी इंडस्ट्री पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। वे कहते हैं कि इंडस्ट्री में 80 केवी क्षमता वाला जनरेटर लगा हुआ है।


एक घंटे में यह जनरेटर 12 लीटर डीजल की खपत कर करीब 40 यूनिट बिजली का उत्पादन करता है। फिलहाल, बिजली 4.92 रुपए की दर से उपलब्ध हो रही है। जिस पर बिजली डच्यूटी 10 फीसदी के लिहाज से 49.2 पैसे अदा करनी पड़ रही है।


ऐसे में अगर एक घंटे में यदि 40 यूनिट की खपत होती है, तो 5 फीसदी शुल्क के लिहाज से प्रति घंटा 9.84 रुपए बतौर इलेक्ट्रीसिटी चार्ज अदा करने हांेगे। बिजली कटांे के दौरान यदि दिन में चार घंटे जनरेटर तो चलता ही है। यानि कि रोजाना 39 रुपए और महीने में करीब 1170 रुपए।


पंजाब डायर्स एसोसिएशन के बॉबी जिंदल भी सरकारी नीतियों को गलत बता रहे हैं। उनका तर्क है हाल ही में डीजल दामों में हुई 2.55 रुपए वृद्धि के बाद इंडस्ट्री के लिए बिजली की उत्पादन लागत और भी बढ़ गई है। ऐसे में जनरेटर से उत्पादित होने वाली बिजली पर टैक्स लगाना गलत निर्णय है। एक डाइंग फैक्ट्री यदि 10 लाख रुपए महीना बिजली का बिल भरती है, तो दो लाख रुपए उन्हें डीजल पर खर्च करने पड़ रहे हैं। इंडस्ट्री को बचाने के लिए सरकार को अपनी नीतियां बदलनी होंगी।
 
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