जो जिक्र हो उसका आयत में खुदाई भी चमकती है..

~¤Akash¤~

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उसी का ज़िक्र है जब भी कही कोई बात चलती है
चले जो बात उसकी तो फिर सारी रात चलती है

थमे जो वो तो रुक जाती है धड़कने दिल की
चले जो वो तो फिर साथ मे कायनात चलती है

उसी के दीद की खातिर निकलता है वो चाँद भी
उसे छूने की ख्वाइश मे हवा थम थम के चलती है

वो निकले धूप में तो साये को सूरज भी छुप जाये
कभी जो धूप भी हो तो घटायें साथ चलती है

महकती है ये वादी भी उसी से खुशबुएँ लेकर
उसी से रंग लेकर के फिजा भी रंग बदलती है

उसी से नूर मिलता है इन आँखों के चरागों को
वो आ जाये जो ख्वाबों में तो पलकें भी चमकती है

चले जो धड़कने उसकी ये मौसम सांस लेता है
हिले जो लब कभी उसके तो कोयल सी चहकती है

उसी के नाम की गूंजे है मंदिर के जरस में भी
जो जिक्र हो उसका आयत में खुदाई भी चमकती है..
 
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