इस्लामी बैंक-कांग्रेस की साजीश।

देश को तोड़ने की साजीश की एक और कांग्रेसी कोशिश सरकार के द्वारा किया जा रहा है। वैसे तो मुस्लीम तुष्टीकरण ही आज सेकुलरिज्म है पर यह इस हद तक बढ़ता जा रहा है कि अब देश को तोड़ने की दिशा में बढ़ रहा है। राज्य सभा सांसद बलबीर पुंज ने यह मुद्दा उठाया है दैनिक जागरण के माध्यम से देखें मैं सोचता हूं कि देश में देशप्रेम की भावना से प्ररित हो कर आज सरकार काम नहीं करती। खास कर कांग्रेसी सरकार। जबसे मंहगाई के बाद भी सत्ता की डोर भारत की जनता ने कांग्रेस के हाथ मे थमा दी है तब से कांग्रेस की सरकार मनमाने ढ़ग से कार्य कर रही है ऐसे जैसे उसे देश की जनता की कोई परवाह हीं नहीं हो। एक नहीं कई कई उदाहरण है जिसमें अफजल गुरू को फांसी नहीं दिया जाना, कसाब को मेहमान बना कर जेल मे वीआईपी सुविधा देना, राज ठाकरे को बढ़ावा देने की साजीश करना, मंहगाई से मुंह मोड़ना आदि। पर इस्लामी बैंक की परिकल्पना सरकार की वह साजीश है जिससे देश टूटेगा। इस्लाम के शरीयत कानून में कई चीजों पर पाबन्दी है। यह शरीयत कटरपन्थियों का कानून है। आज जब हम विकास की बात करते है तो वहां शरीयत का कोई स्थान नहीं पर वोट बैंक की राजनीतिक लोभ में हम यह करते है।
यह तो वही बात हो गई कि जैसे इस्लामपरस्त लोगों ने अलग देश की मांग की हमने मान ली, आज नतीजा सामने है। इस्लामी बैंक बना रहें है तब फिर इस्लाम के लिए सभी जगह अलग स्कूल-कॉलेज की मांग उठेगी। इस्लामी अस्पताल की मांग उठेगी। इस्लाम रेल और जहाज की मांग उठेगी और शरीयत के भाई इसे उचित समझेगें तो इस्लामी मयखाने की मांग भी उठाऐगें। क्योंकि मेेरे कई ऐसे मित्र हैं जो शराब तो पीते है पर नमाज अदा करना नहीं भूलते। शरीयत कानून को मैं ज्यादा नहीं जानता पर मुझे याद है अरब देश में आज से कुछ साल पहले भीषण गर्मी से परेशान एक बुकाzनशीं युवती से जब गर्मी बर्दास्त नहीं हुई तो उसने बुकाz बीच चौराहे पर थोड़ा सा उघार कर सांस लेने की कोशिश की थी और इसकी सजा उसे चौराहे पर ही पत्थर से मार मार कर मारने की मिली। हमारे देश में भी शरीयत का यह कानून लागू की जाएगी क्योंकि आखिर सवाल वोट का है देश का नहीं। शरीयत के भाईयों के लिए जनाब शायर जाहीद की यह शायरी पेश है-``जाहीद शराब पीने दे मस्जीद में बैठ कर, या वे जगह बता दे जहां पर खुदा न हो´´
 
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