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userid97899
Guest
लुक-चुप के ना देखो की शक मे पढ़ जायें
इस कदर मुहब्बत कर बैठे मरह भी ना पायें
गली यार की गुज़रो तो छुपे तीर ना चलाओ
निशाना जो ठीक लगा घायल ना हो जायें
पहले-पहल हसीनो मे लुक-चुप देखने की आदत होती
मुहब्बत जो करनी है सीधे एलान-ए-जंग मे आजाओ
कहते पुराने आशिक़ छुप कर देखना हुस्सन की आदत है
जो करें खुल्म-खुल्ला प्यार तो बाज़ार भाव ना गिर जायें
दिल-ए-महबूब'सागर'की घराइयो मे कुछ ना छिपा पाओगे
टूटा सबर तो फिर अपना कुछ ना बचा पाओगे
writer : unkown
इस कदर मुहब्बत कर बैठे मरह भी ना पायें
गली यार की गुज़रो तो छुपे तीर ना चलाओ
निशाना जो ठीक लगा घायल ना हो जायें
पहले-पहल हसीनो मे लुक-चुप देखने की आदत होती
मुहब्बत जो करनी है सीधे एलान-ए-जंग मे आजाओ
कहते पुराने आशिक़ छुप कर देखना हुस्सन की आदत है
जो करें खुल्म-खुल्ला प्यार तो बाज़ार भाव ना गिर जायें
दिल-ए-महबूब'सागर'की घराइयो मे कुछ ना छिपा पाओगे
टूटा सबर तो फिर अपना कुछ ना बचा पाओगे
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