इन महिलाओं के हाथ में है मेट्रो की कमान

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देश की महिलाएं आज पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। बस, ट्रेन, हवाई जहाज और फाइटर प्लेन तक उड़ा रही हैं। इसी करतार में शामिल हुई हैं 28 साल की युवा इंजीनियर ए. प्रीति। वह सोमवार को शुरू हुई चेन्नई मेट्रो की पहली महिला ड्राइवर बनीं। इनके अलवा जी. जयश्री दूसरी मेट्रो ड्राइवर हैं। सोमवार को प्रीति ने शहर की पहली मेट्रो ट्रेन चला कर लोगों को सफर कराया। उनके पिता आर. अंबू ने बताया कि चेन्नई में प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद प्रीति ने मेट्रो में लोको पायलट बनने का सपना देख लिया था। इसके लिए उसने अपनी पहली नौकरी भी छोड़ दी। मेट्रो ड्राइवर बनने के लिए प्रीति करीब डेढ़ साल घर से दूर रहीं। इस दौरान उन्होंने चेन्नई और दिल्ली में ट्रेनिंग की।

बेटी को मेट्रो दौड़ाते देख पिता हुए भावुक
प्रीति के पिता आर अंबू बेटी को मेट्रो दौड़ाते देख बेहद भावुक दिखे। उन्होंने कहा, ''आज वह बहुत खुश हैं, मेट्रो ड्राइवर बनने का बेटी का सपना जो पूरा हो गया। बेटी ने इंजीनियरिंग डिप्लोमा करने के बाद मेट्रो ड्राइवर के लिए अप्लाई किया था। इसके बाद तीन और लड़किओं ने ड्राइवर बनने के लिए चेन्नई मेट्रो को ज्वाइन किया। लेकिन मुझे खुशी है कि मेरी बेटी को आखिरकार यह मौका मिला।''

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जयपुर मेट्रो
जयपुर मेट्रो की पहली लेडी ड्राइवर कुसुम कंवर बनना तो टीचर चाहती थीं, लेकिन संघर्ष ने उन्हें इस मुकाम पर ला दिया। झुंझुनूं जिले की कुसुम को बाइक चलाने का शौक था, लेकिन उनके पापा बहुत डरते थे और काफी मना करते थे। 2012 में पति की मौत के बाद वह टूट चुकी थीं। मेट्रो ट्रेनिंग के दौरान कुसुम 13 महीने की बेटी से 6 माह में सिर्फ तीन बार ही मिल पाईं। बता दें कि जयपुर मेट्रो के 24 ड्राइवरों में 5 महिलाएं शामिल हैं।

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गुड़गांव मेट्रो
23 साल की प्रिया सचान गुड़गांव से दिल्ली के बीच रोजाना हजारों लोगों को मेट्रो का सफर कराती हैं। वह गुडगांव रैपिड मेट्रो की पहली लेडी ड्राइवर हैं। यूपी के अकबरपुर की रहने वाली प्रिया को मेट्रो की जानकारी डिस्कवरी चैनल पर मिली थी। स्कूलिंग करने के बाद उन्होंने दिल्ली आकर इलेक्ट्रॉनिक्स में ग्रेजुएशन किया और मेट्रो में ड्राइवर की वेकैंसी के अप्लाई किया। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि मेट्रो चलाना किसी खिलौने को चलाने जैसा ही है।

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बेंगलुरु मेट्रो
अक्टूबर 2011 में बेंगलुरु में मेट्रो ट्रेन की शुरुआत हुई। यहां भी पहली बार मेट्रो की स्टेयरिंग संभालने का मौका एम. रश्मि नाम की महिला ड्राइवर को मिला।
 
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