happy birthday bhagat singh g

गौर तै सुणियो बात मेरी,एक किस्सा आज सुणाऊँ जो,
जिन्दगी बीत ज्या सारी जै गुण भगत सिंह के गाऊं तो।
27 सितम्बर तारीख थी जब पैदा यो सरदार होया,
बाप जेल मैं जा रया था देशभक्ता का परिवार होया,
बंगा गाम लाहौर जिला जङै बीत्या बचपन सारा था,
माँ बाबू का एक शेर सब हाण आल्यां तै न्यारा था,
कद जामेगी पुछै बाबू तै बन्दुक की खेती लाऊ जो,
जिन्दगी बीत ज्या सारी जै गुण भगत सिंह के गाऊं तो।
भारत देश आजाद कराण का मन मैं तकड़ा रट्टा था
हिन्दू मुस्लिम सिख जोड़ लिए देश कर लिया कट्ठा था
असेंबली मैं गोला फेंक के आप सरेंडर होग्या था
युवाजन का जोश बढ़ा बीज क्रांति आले बोग्या था
घर घर चाहिए एक भगत सिंह तड़के मैं मर जाऊ तो
जिन्दगी बीत ज्या सारी जै गुण भगत सिंह के गाऊं तो।
माङे अंग्रेजां के राज रूल आर्डर फाँसी के आगये थे
जमा भरी अदालत इंकलाब के नारे गुंजण लागये थे
जेल मै मिल के घर आल्या तै माँ की तरफ लखाया था
माफ़ी दे तेरा क़र्ज़ रहया आँख बही गला भर आया था
वादा कर माँ रोवे नी तू तड़कै फाँसी चढ़ जाऊ जो
जिन्दगी बीत ज्या सारी जै गुण भगत सिंह के गाऊं तो।
फाँसी आली टेम घड़ी नारे जय हिन्द जय हिन्द लाये थे
राजगुरु सुखदेव भगत सिंह हँस हँस कै बतलाये थे
आजादी की भरी नींव तगार खून तै सींच्या था
जल्लाद भी रोया होगा रै फाँसी का रस्सा खीच्या था
भारत नै आजाद करा लियो फेर जाम के आऊ तो
जिन्दगी बीत ज्या सारी जै गुण भगत सिंह के गाऊं तो।
देश का असली हीरो आज क्यों दिखै ना अखबारा मै
'लाम्बा' फर्क समझ मैं आवै ना के रह गया फेर सरकारा मै
सच्चे मन तै याद करो सो तो एक छोटा सा काम करो
भगत सिंह नै सोच बणा के देश का ऊँचा नाम करो
इनाम भी छोटा रह ज्या जै तनै भारत रत्न दुवाऊं तो
जिन्दगी बीत ज्या सारी जै गुण भगत सिंह के गाऊं तो।
जिन्दगी बीत ज्या सारी जै गुण भगत सिंह के गाऊं तो।
 

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