एक मेरी थी एक तुम्हारी

~¤Akash¤~

Prime VIP
सैय्याद उड़ ना जाऊँ कफस ले के मैं कहीं
मेरा इम्तहान ना ले पर काटने के बाद......
दुआ कौन सी थी ज़हन में याद नहीं
बस इतना याद है दो हथेली जुडी थी

एक मेरी थी एक तुम्हारी थी.............................


 
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